Chhattisgarh | भूपेश बघेल का राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र, चुनावी पारदर्शिता पर चिंता जताई
1 min readChhattisgarh | Bhupesh Baghel’s letter to the State Election Commissioner, expressed concern over election transparency
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को एक पत्र लिखकर राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। बघेल ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चिंता जताते हुए कई महत्वपूर्ण सवाल किए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा है कि क्या महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षदों के वोट एक ही EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर डाले जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह पहली बार होगा जब एक ही मशीन पर दो वोट डाले जाएंगे, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिहाज से अनोखा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस प्रक्रिया के लिए मतदाताओं को विशेष प्रशिक्षण या जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
भूपेश बघेल के चार सवाल –
EVM और VVPAT का प्रयोग : क्या यह सच है कि स्थानीय निकाय चुनावों में EVM का इस्तेमाल तो किया जाएगा लेकिन VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) का प्रयोग नहीं किया जाएगा? क्या इससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल नहीं उठेंगे?
EVM पर दो वोट डाले जाने का सवाल : क्या महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों के वोट एक ही EVM मशीन पर डाले जाएंगे? क्या यह चुनाव प्रक्रिया के लिए बिना किसी प्रशिक्षण के सही है? इसके लिए क्या नई मशीनें मँगवाई गई हैं या पुरानी मशीनों में नई प्रोग्रामिंग की गई है?
मशीनों की प्रोग्रामिंग और मेंटेनेंस : चुनावों के लिए मशीनों की जो प्रोग्रामिंग की गई है, उसका जिम्मा किस एजेंसी को दिया गया है? क्या यह एजेंसी केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत की गई है?
चुनाव परिणामों का समय : क्या यह सही है कि चुनावों के बीच भी परिणाम जारी किए जाएंगे, जबकि केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी चुनावों के परिणाम अंतिम चुनाव के बाद ही जारी होते हैं ताकि एक चुनाव का प्रभाव दूसरे चुनाव पर न पड़े?
मुख्यमंत्री का जवाब –
इन सवालों पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष होंगे और यदि भूपेश बघेल को चुनाव की निष्पक्षता पर कोई संदेह है तो उन्हें आपत्ति करने का पूरा हक है।
पूर्व मुख्यमंत्री के सवाल चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को लेकर हैं, जिन पर राज्य निर्वाचन आयुक्त को स्पष्टता देनी होगी।