Cg Pensioners Problem | रिटायर्ड अधिकारी कर्मचारी पेंशन के लिए काट रहे चक्कर, कारण क्या है, कोई बताने वाला नहीं …
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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में शासकीय सेवा से रिटायर हुए अधिकारी कर्मचारी अपने मासिक पेंशन के भुगतान को लेकर चक्कर काट रहे हैं। इस कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव में लॉक डाउन में घर में कैद होना मजबूरी है। परन्तु इस संकट के वक्त विभाग, ट्रेजरी और बैंक के झमेला में 4-5 माह से मासिक पेंशन से वंचित हैं। कारण क्या है, कोई बताने वाला नहीं है। न तो इन जगहों में कोई सुनने वाला है और नहीं कोई गाइड करने वाला है।
उक्त आरोप छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव एवं पेंशनर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष यशवंत दीवान ने लगाया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हजारों पेंशनर इससे पीड़ित होकर विभागों का चक्कर लगाकर परेशान हैं। स्थिति इतनी बदतर है कि मृतक रिटायर पेंशनरों के आश्रित पात्र फेमली पेंशनर उम्र के अंतिम पड़ाव में फेमिली पेंशन के लिए भटक रहे हैं।
सरकार के वरिष्ठ नागरिकों के लिए संवेदनशीलता और योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रहीं हैं। एक विडंबना यह भी है कि शासन के आदेश के बावजूद 80 वर्ष के बुजुर्ग पेंशनर नियमानुसार 20% अधिक पेंशन पाने हक से वंचित हैं। उन्होंने बताया कि धमतरी जिले में बैंक आफ बडौदा मगरलोड से भैसमुड़ी के चार, स्टेट बैंक छाती से ग्राम सेमरा भखारा के तीन और स्टेट बैंक धमतरी से एक फेमिली पेंशनर 2019-20 से अबतक पेंशन के इंतजार में दिन गिन रहे हैं।
इसके अलावा धमतरी जिले से नए दो रिटायर पेंशनर पीपीओ जारी होने के बाद से सेंट्रल प्रोसेसिंग सेल गोविपुरा भोपाल में प्रकरण के लंबित रहने से फरवरी 21 से अबतक पेंशन से वंचित हैं। इसके अलावा स्टेट बैंक छाती के चार पेंशनधारी 80 वर्ष अधिक उम्र के बुजुर्ग अपने पेंशन राशि में 80 वर्ष के उम्र पूरा होने के 5-6 साल बाद भी 20% प्रतिशत अधिक पेंशन पाने के हकदार हैं, उन्हें भी बैंक के लालफीताशाही का शिकार होना पड़ा है।
वीरेंद्र नामदेव का कहना है कि यह तो सिर्फ एक जिले के 1-2 ब्लाक की जानकारी है। इस तरह के प्रकरणों की गांव से लेकर जिलों तक हजारों की संख्या होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। पेंशनधारी हजारों लोगों को नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण जो मिल रहा है, वह उसी में खुश हैं। उन्होंने राज्य सरकार से सभी लंबित पेंशन प्रकरणों की समीक्षा करने और उनके निराकरण हेतु जिला स्तर पर शिविर लगाकर अभियान चलाने की मांग की है।