November 20, 2024

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Cg News | टीएस सिंहदेव को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

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CG News | Big relief to TS Singhdev from High Court

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को हाईकोर्ट बिलासपुर से बड़ी राहत मिली है। तरूनीर संस्था द्वारा अंबिकापुर केसत्तीपारा में स्थित शिवसागर तालाब मौलवी बांध में सिंहदेव परिवार के स्वामित्व की भूमि को लेकर हाईकोर्ट बिलासपुर में दाखिलजनहित याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

सत्तीपारा के शिवसागर तालाब एवं मौलवी बांध के कुल 54.20 एकड़ भूमि में से 33 एकड़ भूमि का लैंड यूज 1996 में बदल दिया गयाथा। इसे लेकर हाईकोर्ट में तरूनीर समिति ने जनहित याचिका लगाई थी। विपक्ष इस मामले में काफी समय से टीएस सिंहदेव पर घेररहा था। विधानसभा चुनाव के पूर्व आए इस निर्णय से डिप्टी सीएम को बड़ी राहत मिली है।

अंबिकापुर विधायक छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के अधिवक्ता संतोष सिंह के साथ उनके कानूनी सलाहकार डॉ जेपीश्रीवास्तव, हेमंत तिवारी ने बताया कि शिवसागर तालाब मौलवी बांध के खसरा क्रमांक 3467, रकबा 52.6 एकड़ खसरा क्रमांक3385 रकबा 2.14 एकड़ कुल 54.20 एकड़ भूमि इन्वेंट्री में राजपरिवार के नाम दर्ज है। यह 54.20 एकड़ भूमि में से सिर्फ 21 एकड़भूमि ही जलस्रोत के रूप में उपयोग हो रहा था।

शेष 33 एकड़ भूमि का मद परिवर्तन करने के लिए टीएस सिंहदेव ने कलेक्टर सरगुजा को वर्ष 1995 में आवेदन दिया गया था।कलेक्टर सरगुजा द्वारा राजस्व विभाग की टीम गठित कर इसकी जांच कराई गई। कलेक्टर सरगुजा ने पांच नवंबर 1996 के आदेशद्वारा जलक्षेत्र 21 एकड़ को छोड़कर शेष 33.18 एकड़ भूमि का मद परिवर्तित कर दिया गया था।

अधिवक्ताओं ने बताया कि इस आदेश के 20 वर्ष बाद तरूनीर समिति के अध्यक्ष कैलाश मिश्रा द्वारा 08 दिसंबर 2016 11 अगस्त2017 को कलेक्टर सरगुजा के समक्ष शिकायत की गई। समिति के एक पदाधिकारी विशाल राय ने राज्य शासन से 24 अक्टूबर2016 को शिकायत कर इसकी जांच कराए जाने की मांग की थी।

शिकायत में टीएस सिंहदेव उनके परिवार के सदस्यों पर आरोप था कि उनके द्वारा अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए गलत ढंग सेतालाब की भूमि को अपने नाम से दर्ज कराकर क्रयविक्रय किया जा रहा है। तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह द्वारा इसकी विधिवत तरीकेसे जांच कराई गई और जांच में पाया गया कि इसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है। तालाब का 21 एकड़ यथावत पाया गया।

इसका प्रतिवेदन 22 फरवरी 2017 को राज्य शासन को भेज दिया गया था।उक्त भूमि की जांच रिपोर्ट के पश्चात् भूमि के मद परिवर्तनको लेकर भाजपा नेता आलोक दुबे ने एनजीटी भोपाल में प्रकरण क्रमांक 06/19 प्रस्तुत किया गया। एनजीटी भोपाल ने उक्त भूमि काव्यपवर्तन विधिवत करना पाए जाने पर प्रकरण सात मार्च 2019 को खारिज कर दिया था। एनजीटी ने आलोक दुबे के पुनर्विचारयाचिका को भी खारिज कर दिया था। आलोक दुबे ने इस आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त 2021 को खारिज कर दिया था।

इधर तरूनीर समिति के उपाध्यक्ष किशन मधेशिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट बिलासपुर में जनहित याचिका पेश की थी, जिसमें उन्होंने जलस्रोत की भूमि का लैंड यूज बदले जाने को लेकर चुनौती दी थी।अधिवक्ता संतोष सिंह ने बताया कि तरूनीर समिति नेएनजीटी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तथ्यों को छिपाकर याचिका प्रस्तुत किया गया था। हाईकोर्ट बिलासपुर ने कहा कि यह याचिकाव्यक्तिगत लाभ के लिए प्रस्तुत किया गया है, जनहित का नहीं है। इस कारण याचिका को दिनांक आठ सितंबर 2023 को निरस्त करदिया है।

कर सकते हैं मानहानि का केस

टीएस सिंहदेव के अधिवक्ताओं एवं कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि शिकायतकर्ता कैलाश मिश्रा एवं आलोक दुबे द्वारा 10 वर्षों से तालाब की जमीन को पाटने का आरोप लगाकर टीएस सिंहदेव की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे थे। सिंहदेव केअंबिकापुर वापस आने के बाद दोनों के खिलाफ मानहानि का केस करने पर विचार किया जाएगा।इसके लिए कानूनी सलाह ली जा रहीहै।

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