Cg Breaking | केसी वेणुगोपाल से दिल्ली जाकर मिले पूर्व कांग्रेस विधायक, प्रदेश महामंत्री ने इस बात के लिए सैलजा को लिखा पत्र
1 min readCG Breaking | Former Congress MLA met KC Venugopal in Delhi, State General Secretary wrote a letter to Selja for this matter
रायपुर। कांग्रेस के पूर्व विधायकों का दिल्ली में डेरा है। इन विधायकों ने प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री केसी वेणुगोपाल से मुलाकात भी की है। वेणुगोपाल ने बताया कि एआईसीसी को छत्तीसगढ़ में सर्वे की अनुमति नहीं थी। इसलिए विधायकों की टिकट कटने के मामले में एआईसीसी की कोई जवाबदेही नहीं बनती है। उन्होंने कहा कि जिन विधायकों की टिकट कटी है, उनसे चर्चा की जाएगी।
निष्कासित पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह, और डॉ.विनय जायसवाल की अगुवाई में करीब 10 पूर्व विधायक दिल्ली गए हुए हैं। ये पूर्व विधायक मानते हैं कि टिकट काटने की वजह से पार्टी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा है। जिन 22 विधायकों की टिकट कटी है उनमें से सिर्फ 7 सीटों पर ही पार्टी को जीत मिली है। इन विधायकों की एआईसीसी दफ्तर में प्रभारी महामंत्री केसी वेणुगोपाल से चर्चा हुई है।
बृहस्पत सिंह ने बताया कि प्रभारी महामंत्री ने विधानसभा चुनाव में हार पर चिंता जताई है। उन्होंने यह भी बताया कि एआईसीसी को सर्वे करने की अनुमति नहीं दी गई थी। सारा फैसला स्थानीय स्तर पर लिया गया था। लिहाजा, टिकट काटने का फैसला भी स्थानीय नेताओं का हाथ था।
बृहस्पत सिंह ने कहा कि जिन 22 विधायकों की टिकट कटी है उनसे पार्टी हाईकमान अलग-अलग चर्चा करेगी। पूर्व विधायक ने बताया कि चुनाव के दौरान पार्टी के नेताओं की बयानबाजी से नुकसान का जिक्र भी किया गया। इस पर प्रभारी महामंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस मामले को संज्ञान में लिया जाएगा।
निष्कासन की कार्रवाई पर बृहस्पत सिंह ने कहा कि प्रभारी महामंत्री को इसकी जानकारी दी गई है। प्रभारी महामंत्री ने आवेदन मांगा है, और भरोसा दिलाया है कि जल्द निष्कासन खत्म कर दिया जाएगा।
पूर्व विधायकों ने प्रभारी मंत्री से चर्चा को लेकर संतुष्टि जताई है। उन्होंने कहा कि सर्वे एजेंसियों ने गलत तरीके से सर्वे कर उन्हें टिकट नहीं देने की सिफारिश की जिसकी वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। ये सभी पूर्व विधायक प्रदेश प्रभारी सैलजा और पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
जो पूर्व विधायक दिल्ली में हैं उनमें बृहस्पत सिंह और जायसवाल के अलावा भुवनेश्वर बघेल, चन्द्रदेव राय, मोतीलाल देवांगन, और अन्य हैं।
वही कांग्रेस संगठन में हार के बाद समीक्षा के लिए दबाव बना है। इस कड़ी में प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने प्रभारी महासचिव सैलजा और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर तुरंत कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक बुलाने की मांग की है।
शुक्ला ने कहा कि चुनाव परिणाम की शीघ्र समीक्षा ( चिन्तन / मनन) के लिए बैठक बुलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चुनाव में विपरीत परिणाम आने से सभी कांग्रेस जन दुखी और विचलित हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि हमारी योजनाएँ और प्लानिंग क्यों धराशाही हुई ?
शुक्ला ने कहा कि सर्वे जो 7-7 बार हुआ, वह क्यों असफल हुआ? नेताओं को क्षेत्र बदलकर (महंत राम सुन्दर दास जी और छाया वर्मा जी) क्यों चुनाव लड़वाया गया ? उन्होंने पूछा कि ब्लॉक और जिला कांग्रेस कमेटी से आए नामों पर क्यों नहीं टिकिट बांटा गया ? शुक्ला ने कहा कि दिल्ली के नेताओं का छत्तीसगढ़ राजनीतिक पर्यटन हब, मौज मस्ती का केन्द्र बन गया है। एक एक प्रकोष्ठ में 4-4 प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। पैसे लेकर नियुक्तियां की गई। जिस जोगी कांग्रेस के नेताओं को बामुश्किल हमने संघर्ष कर बाहर किया था उन्हें बुला-बुलाकर उपकृत कर, राजनीतिक और शासकीय पदों से सम्मानित किया गया। जब आप जीत कि माला पहनने को तैयार हैं तो पराजय की हार भी स्वीकार करें।
शुक्ला ने यह भी कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता अपने निहित स्वार्थों में लड़-झगड़ कर सत्ता गंवातें हैं। इसके लिए कोई एक नहीं, सारे मंत्री जिम्मेदार हैं, जो हवा में उड़ रहे थे, और पूरे 5 साल पूरे तन-मन से कार्यकर्ताओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।
उन्होंने बताया कि हमारी सिर्फ राजीव गाँधी कृषि न्याय योजना अत्यंत असरकारी एवं लाभकारी थी, इसके अलावा गोठान, नरवा गरवा घुरवा-बाडी और राजीव युवा मितान, हाल बेहाल था तथा धरातल में साकार नहीं था। हम कलेक्टरों और शासकीय मिशनरियों के कार्यक्रमों में आयी भीड़ को देखकर सदैव गदगद रहते थे और समझ ही नहीं पा रहे थे कि प्रायोजित है।
2-2 पूर्व विधायकों को निष्कासित कर दिया गया। एक पूर्व मंत्री को भी नोटिस पकड़ा दिया। पार्टी में अनुशासन के नाम पर आंतरिक लोकतंत्र को दबाया, कुचला जा रहा है। जिसकी वजह से लोग दिल्ली से लेकर चौराहों तक आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
इन सभी पर व्यपाक विस्तार से चर्चा होनी चाहिये। चर्चाएँ और भी बहुत हैं। और शिकायतें भी। यदि इन परिस्थितियों का हम सामना नहीं करेंगे तो हमारी स्थिति बद से बदत्तर होती जाएगी। सामने लोकसभा चुनाव है, विधानसभा चुनाव शुद्ध रूप से हमारे प्रदेश के नेताओं की गलतियों की वजह से हारे हैं। पूरे पांच साल संगठन और सरकार में समन्वय नहीं रहा।
उन्होंने कहा कि जितने नेताओं को भी नोटिस दिया गया है अथवा कार्रवाई की गई है। सभी को तत्काल निरस्त कर सभी प्रकरणों को अनुशासन समिति में भेजें।