November 22, 2024

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Cg Breaking | राज्यपाल सचिवालय को जारी नोटिस पर लगी रोक, आरक्षण मामले में बड़ा अपडेट

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Cg Breaking | Ban on notice issued to Governor’s Secretariat, big update in reservation case

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में राजभवन सचिवालय को जारी नोटिस पर रोक लगा दी है साथ ही नोटिस को वापस ले लिया है। गुरुवार को इस मामले की राज भवन सचिवालय ने एक आवेदन पेश की वैधानिकता को चुनौती दी थी।

साथ ही यह कहा था कि राष्ट्रपति व राज्यपाल को हाई कोर्ट के द्वारा किसी मामले में पक्षकार नहीं बनाया जा सकता और ना ही नोटिस जारी की जा सकती है गुरुवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे के सिंगल बेंच में हुई थी। आवेदन पर दोनों पक्षों की पैरवी के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को जस्टिस रजनी दुबे ने अपना फैसला सुनाया है सिंगल बेंच ने पूर्व में राजभवन सचिवालय को जारी नोटिस पर रोक लगा दी है।

राज्यपाल सचिवालय ने एक आवेदन पेश कर हाई कोर्ट की नोटिस को चुनौती दी थी। जिसमें कहा है कि आर्टिकल 361 के तहत किसी भी केस में राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। गुरुवार को इस मामले में अंतरिम राहत पर बहस के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रकरण में हाई कोर्ट की नोटिस पर रोक लगाने की मांग की गई है।

दरअसल, आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोकने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असमति दे सकते हैं। लेकिन, बिना किसी वजह के बिल को इस तरह से लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है।

राज्यपाल ने स्वीकृति देने से किया है इनकार –

राज्य सरकार ने दो महीने पहले विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य में विभिन्न वर्गों के आरक्षण को बढ़ा दिया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण कर दिया गया। इस विधेयक को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था।

राज्यपाल अनुसूईया उइके ने इसे स्वीकृत करने से फिलहाल इनकार कर दिया है और अपने पास ही रखा है। राज्यपाल के विधेयक स्वीकृत नहीं करने को लेकर एडवोकेट हिमांक सलूजा ने और राज्य शासन ने याचिका लगाई थी। राज्य शासन ने आरक्षण विधेयक बिल को राज्यपाल की ओर से रोकने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस केस की अभी सुनवाई लंबित है।

राज्यपाल सचिवालय ने लगाई है याचिका, नोटिस पर स्टे की मांग –

शासन की याचिका पर राजभवन को नोटिस जारी होने के बाद राज्यपाल सचिवालय की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें याचिका पर राजभवन को पक्षकार बनाने और हाईकोर्ट की नोटिस देने को चुनौती दी गई है। राज्यपाल सचिवालय की तरफ से पूर्व असिस्टेंट सालिसिटर जनरल और सीबीआई व एनआईए के विशेष लोक अभियोजक बी गोपा कुमार ने तर्क देते हुए बताया कि संविधान की अनुच्छेद 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल को अपने कार्यालय की शक्तियों और काम को लेकर विशेषाधिकार है, जिसके लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी भी न्यायालय में जवाबदेह नहीं है। इसके मुताबिक हाईकोर्ट को राजभवन को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आरक्षण विधेयक बिल को राज्यपाल के पास भेजा गया है। लेकिन, इसमें समय सीमा तय नहीं है कि कितने दिन में बिल को निर्णय लेना है। याचिका के साथ ही उन्होंने अंतरिम राहत की मांग करते हुए तर्क दिया और कहा कि प्रथम दृष्टया में याचिका पर राजभवन को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। लिहाजा, हाईकोर्ट से जारी नोटिस पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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