BREAKING (बालको में जबरदस्त ब्लास्ट) | मैनपाट का पहाड़ी क्षेत्र दहला, घरों में आई दरार, वाहन भी क्षतिग्रस्त, कई लोग घायल..!
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अंबिकापुर । मैनपाट के केसरा स्थित बालको के स्थाई मैगजीन हाउस (बारूद घर) में संग्रहित बारूद को डिस्पोज करने की प्रक्रिया से मंगलवार को मैनपाट का पहाड़ी क्षेत्र दहल उठा। बगैर किसी पूर्व सूचना के बंद पड़े खदान क्षेत्र में बारूद डिस्पोज करने से लगभग 15 किमी दूर तक तेज कंपन हुआ। जिस स्थान पर ब्लास्टिंग हुई, उसके आसपास के घरों में दरार आ गई है। कुछ वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रभावित लोगों द्वारा अब क्षतिपूर्ति की मांग की जा रही है। सोशल मीडिया में बालको प्रबंधन के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
मैनपाट में बालको की बाक्साइट खदाने बंद पड़ी हुई हैं। पूर्व में संचालित खदानों से बाक्साइट उत्खनन के लिए ब्लास्टिंग का कार्य किया जाता था। इसके लिए बालको प्रबंधन ने बारूद घर का निर्माण कराया था। इसी बारूद घर में बारूद संग्रहित कर रखे गए थे। खदानों के बंद रहने तथा बारूद की वर्तमान में कोई उपयोगिता नहीं होने के कारण प्रक्रिया के तहत बालको प्रबंधन द्वारा मंगलवार शाम को ग्राम केसरा के खदान क्षेत्र में बारूद डिस्पोज करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही थी। आरोप है कि इस प्रक्रिया में सुरक्षा उपायों को दरकिनार कर दिया गया। अचानक ब्लास्टिंग से 15 किमी दूर नर्मदापुर तक कंपन हुआ और तेज आवाज भी आई। इस दौरान केसरा व उससे लगे गांवों में कई घरों की दीवारें क्रेक हो गई हैं।
बता दे की कुछ चारपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। यह पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया में भी वायरल हुआ है। ब्लास्टिंग से वाहनों के क्षतिग्रस्त होने और दीवारों में आई दरार की तस्वीरें भी वायरल हुई हैं। केसरा के राधेश्याम यादव नामक व्यक्ति द्वारा दावा किया गया है कि उसने घर बनाने में 30 लाख खर्च किए थे। मंगलवार को ब्लास्टिंग से घर की छत फट गई है। क्षतिपूर्ति की मांग उन्होंने की है। इसी प्रकार कई और लोग ब्लास्टिंग से हुए नुकसान की जानकारी साझा कर रहे हैं। मामले में बालको के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका। स्थानीय स्तर पर पदस्थ कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रक्रिया के तहत बारूद डिस्पोज किया गया है। इसके लिए जो नियम बनाए गए हैं, उन सारे नियमों का पालन किया गया है। बारूद सुरक्षित स्थान पर ले जाकर डिस्पोज करने की प्रक्रिया पूरी की गई है। खदान लंबे समय से बंद पड़ी हुई है। बारूद की उपयोगिता नहीं है। उसे सुरक्षित तरीके से डिस्पोज कराया गया है ताकि इसका अनुचित उपयोग न हो सके।