Breaking News | सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को ATS ने किया गिरफ्तार, गुजरात दंगे से जुड़ा मामला
1 min readSocial worker Teesta Setalvad arrested by ATS, case related to Gujarat riots
डेस्क। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के घर पर शनिवार को ATS पहुंच गई. जानकारी के मुताबिक गुजरात एटीएस की दो टीमें मुंबई पहुंचीं. एक टीम सांताक्रूज पुलिस स्टेशन गई तो दूसरी टीम मुंबई पुलिस के साथ तीस्ता सीतलवाड़ के जुहू स्थित घर गई. इसके बाद टीम उन्हें हिरासत में लेकर सांताक्रूज थाने पहुंच गई.
जानकारी के मुताबिक जब तीस्ता को टीम ने जीप में बैठाने की कोशिश की तो उसके ऑफिस के कर्मचारियों और समर्थकों की जांच टीम से बहस हुई. उन्होंने तीस्ता को जीप से ले जाने के लिए रोकने की भी कोशिश की.
बताया जा रहा है कि मुंबई पुलिस अभी गुजरात पुलिस के दिए गए दस्तावेजों की जांच कर रही है. इसके बाद एटीएस सामाजिक कार्यकर्ता को अपने साथ अहमदाबाद मुख्यालय ले जाएगी.
पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार अरेस्ट
वहीं अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया है. मालूम हो कि गुजरात दंगा मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में मुख्यमंत्री की मीटिंग में शामिल होने के दावेदारों के बयान मामले को राजनीतिक रूप से सनसनी पैदा करने वाले थे.
दरअसल संजीव भट्ट, हिरेन पंड्या और आरबी श्रीकुमार ने SIT के सामने बयान दिया था जो कि निराधार और झूठे साबित हुए, क्योंकि जांच में पता चला कि ये लोग तो लॉ एंड ऑर्डर की समीक्षा के लिए बुलाई गई उस मीटिंग में शामिल ही नहीं हुए थे.
तीस्ता के बारे में छानबीन की जरूरत: SC
24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे पर एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका को रद्द कर दिया था. इस याचिका को जाकिया जाफरी ने दाखिल किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए कहा था तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में और छानबीन की जरूरत है, क्योंकि तीस्ता इस मामले में जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल गोपनीय ढंग से अपने स्वार्थ के लिए कर रही थी.
अपने हित के लिए तीस्ता ने चीजों को गढ़ा
कोर्ट ने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ इसीलिए इस मामले में लगातार घुसी रहीं, क्योंकि जकिया अहसान जाफरी इस पूरे मामले में असली पीड़ित हैं.
तीस्ता अपने हिसाब से उनको इस मुकदमे में मदद करने के बहाने उनको नियंत्रित कर रही थीं, जबकि वो अपने हित साधने की गरज से बदले की भावना रखते हुए इस मुकदमे में न केवल दिलचस्पी ले रही थीं बल्कि अपने मनमुताबिक चीजें भी गढ़ रही थीं. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया था.
दिसंबर 2021 से हो रही थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने पहले 9 दिसंबर 2021 को जाकिया जाफरी की याचिका पर मैराथन सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. गुजरात दंगों की जांच के लिए बनी एसआईटी ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे अब के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी.
एहसान जाफरी की दंगों में हुई थी मौत
2002 में गुजरात दंगों के दौरान जाकिया जाफरी के पति तब कांग्रेस से विधायक रहे एहसान जाफरी को दंगाई भीड़ ने मार डाला था. गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में एहसान जाफरी भी मारे गए थे. एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने SIT की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी.
एसआईटी की रिपोर्ट में प्रदेश के उच्च पदों पर रहे लोगों को क्लीन चिट दी गई थी. एसआईटी ने राज्य के उच्च पदाधिकारियों की ओर से गोधरा ट्रेन अग्निकांड और उसके बाद हुए दंगे भड़काने में किसी भी साजिश को नकार दिया था. साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने SIT की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया की शिकायत खारिज कर दी थी.