BREAKING | नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया हेल्थ का हवाला, चीफ जस्टिस ने सुनवाई से किया इनकार, बड़ा अपडेट
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Navjot Singh Sidhu cited health, Chief Justice refused to hear, big update
डेस्क। नवजोत सिंह सिद्धू को आज पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन अब उन्होंने हेल्थ प्रॉब्लम का हवाला देते हुए इसके लिए समय मांगा है. वहीं, सिद्धू की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करते हुए बेंच की तरफ से कहा गया है कि इसको चीफ जस्टिस की बेंच के सामने रखा जाए. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के रोड रेज मामले में उन्हें गुरुवार को 1 साल की सजा सुनाई है. इसके लिए उनको आज सरेंडर करना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट में क्या कुछ हुआ
जस्टिस खानविलकर की बेंच के सामने सिंघवी ने कहा कि यह पुराना मामला है और स्वास्थ्य को लेकर दिक्कतें हैं. इसलिए कुछ हफ्तों का वक्त चाहिए होगा. हालांकि, सिंघवी ने यह नहीं बताया कि सिद्धू को स्वास्थ्य की क्या दिक्कतें हैं. दूसरी तरफ पीड़त के वकील ने सिद्धू की अर्जी का विरोध किया है. कहा गया कि मामला पुराना है और अब जाकर न्याय मिला है.
खानविलकर ने कहा कि मामले की फाइलिंग उनके पास नहीं है. ऐसे में चीफ जस्टिस के सामने याचिका दायर करनी चाहिए.
सजा के ऐलान के बाद सिद्धू ने कल कहा था कि वह कानून का पालन करेंगे. आज सुबह से उनके सरेंडर का माहौल बना हुआ था. लेकिन इस बीच सिद्धू की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की.
1998 के रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1 साल की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट में यह केस पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले खुला था. पीड़ितों ने मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी, जिसे अदालत ने मान लिया था. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया.
3 दशक पुराना मामला क्या है, 7 प्वॉइंट्स में समझें…
नवजोत सिंह सिद्धू 27 दिसंबर 1988 की शाम को अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट गए थे. ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है. उस वक्त सिद्धू एक क्रिकेटर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल का वक्त ही हुआ था.
इसी मार्केट में 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से उनकी कार पार्किंग को लेकर कहासुनी हो गई. फिर बात हाथापाई तक जा पहुंची. वहां सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर नीचे गिरा दिया था. उसके बाद हॉस्पिटल में गुरनाम सिंह की मौत हो गई. बाद में आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.
मामले में सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. फिर केस सेशन कोर्ट में चला. इस केस को 1999 में सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया.
फिर साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ HC में अपील की. तबतक सिद्धू राजनीति में आ गए थे. वह 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत भी गए.
सुनवाई के बाद दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराया और 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. दोनों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. इसके बाद सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया.
बाद में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. फिर 2007 में सिद्धू फिर अमृतसर से चुनाव लड़े और जीते.
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. हालांकि, कोर्ट ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसी फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई गई है.