बड़ी खबर | रेमडेसीविर की किल्लत, मरीजों की जा रही जान, छत्तीसगढ़ ने महाराष्ट्र से मांगी मदद, जानिए इस इंजेक्शन का क्या काम !
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रायपुर । देश के साथ प्रदेश में भी कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है। अस्पतालों में उपचार के लिए बेड नहीं है, तो दूसरी ओर लाशों को रखने के लिए मर्च्यूरी में जगह नहीं है। ऐसे हालात में कोरोना से बचाव के लिए अहम इंजेक्शन रेमडेसीविर की किल्लत मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए भी भारी चिंता का विषय बना हुआ है।
डॉक्टरों के मुताबिक, कोरोना के मरीजों को ऑक्जीजन लेवल डाउन होने पर रेमडेसीविर का इंजेक्शन लगाया जाता है। पहले 6 इंजेक्शन लगाए जाते हैं, इसके बाद 2 और फिर 4-5 दिन का कोर्स होता है। रेमडेसीविर को अलग-अलग दवा कंपनी बनाती है। कंपनियों के हिसाब से इंजेक्शन 900 रुपए से 4000 रुपए तक का मिलता है, लेकिन कोरोना के दूसरे लहर में मरीजों की संख्या में यकायक इजाफा होने से रेमडेसीविर की किल्लत हो गई है। न तो यह मेडिकल दुकानों में मिल रहे हैं, और न ही निजी अस्पताल में। हालत यह है कि जिन दुकानों में उपलब्ध है, वहां इसको लेने के लिए लोगों के बीच मारामारी की स्थिति है।
महाराष्ट्र सरकार के संपर्क में छत्तीसगढ़ –
सूत्रों के मुताबिक़ तमाम दवा कंपनियों के कार्पोरेट ऑफिस महाराष्ट्र में है, ऐसी स्थिति में बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने इन दवा कंपनियों पर रेमडेसीविर की आपूर्ति को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार सहयोग की उम्मीद की है सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ की ओर से मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव ने महाराष्ट्र सरकार के नुमाइंदो से रेमडेसीविर की उपलब्धता को लेकर चर्चा की है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से सहयोग करने का आग्रह किया है, जिससे कोरोना संक्रमितों की जान बच सके।
रेमडेसिविर इंजेक्शन बहुत जरूरी –
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य पर संकट गहरा गया है। हर दिन 10000 वायल की जरूरत है, लेकिन मात्र 1500 से 2000 वायल की ही सप्लाई हो पा रही है। गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन बहुत जरूरी है।
क्या है रेमडेसिविर इंजेक्शन –
रेमडेसिवियर एंटी वायरल इनफेक्शन इंजेक्शन है। यह इंजेक्शन कोई नई चीज नहीं है। यह पहले भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यह पहले भी SARS गंभीर बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। जैसा कि हम पहले भी बहुत जगह पढ़ चुके हैं कि कोरोनावायरस SARS की फैमिली का ही एक वायरस है। इसीलिए WHO ने यह फैसला किया था कि यह इंजेक्शन CIVID19 के लिए भी उतना ही कारगर हो सकता है। अगर बात करें भारत की तो भारत में यह इंजेक्शन इस महीने के अंत में इस्तेमाल किया जाएगा। भारत में DCGI ने भी कोरोना के इमरजेंसी केस में रेमडेसिवियर को जल्द से जल्द इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है।
मरीजों के अध्ययन में भी यह देखा गया है कि जिन मरीजों के स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट के साथ-साथ रेमडेसिवियर का इस्तेमाल किया जा रहा है उन मरीजों में जल्दी इंप्रूवमेंट देखने को मिल रही है। रेमडेसिवियर दवा क ट्रीटमेंट 5 दिन चलता है, यानी के इस दवा का कोर्स 5 दिन का ही है। कई बार ऐसा होता है हम लोग जिन चीजों के लिए काम करते हैं वह चीज कारगर नहीं रहती। वैसा ही रेमडेसिवियर के साथ भी हुआ है।दरअसल रेमडेसिवियर दवाई इबोला के ट्रीटमेंट के लिए बनाई जा रही थी। परंतु ही इबोला कि ट्रीटमेंट में यह क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गई। इसलिए यह दवाई अब इबोला के लिए इस्तेमाल नहीं की जा रही है।