बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ की 2 महिला सांसद सहित इन पर गिरी निलंबन की गाज, राज्यसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन हंगामा
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नेशनल डेस्क । राज्यसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सदन की बड़ी कार्रवाई देखने को मिली। यह कार्रवाई पिछले सत्र से जुडी हुई है। अनुशासनहीनता के आरोप में राज्यसभा के 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। निलंबित सांसदों में कांग्रेस के छह, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो, सीपीआई का एक और शिवसेना के दो सांसद शामिल हैं।
इन सांसदों पर गिरी निलंबन की गाज
सीपीएम के एलामारम करीम और कांग्रेस की फूलो देवी नेतम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजामणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रसाद सिंह, टीएमसी की शांता छेत्री व डोला सेन, सीपीआई के विनय विश्वम और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई निलंबित कर दिए गए। 11 अगस्त को हुए हंगामे को लेकर ये कार्रवाई हुई है।
इन सांसदों के निलंबन को लेकर सदन की ओर से जारी आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि इन सांसदों ने राज्यसभा के 254वें सत्र के आखिरी दिन यानी 11 अगस्त को हिंसक व्यवहार किया, सुरक्षा कर्मियों पर जानबूझकर हमले किए, चेयर का अपमान किया। इन्होंने सदन के नियमों को तार-तार कर दिया और कार्यवाही में बाधा पहुंचाई।
मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में कल बैठक
इस बीच राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्षी दलों ने कल राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में एलओपी पर बैठक बुलाई है। विपक्ष ने संयुक्त बयान जारी कर यह बताया कि विपक्षी दलों के नेता एकजुट होकर 12 सांसदों के अनुचित और अलोकतांत्रिक निलंबन की निंदा करते हैं। राज्यसभा के विपक्षी दलों के नेताओं की कल बैठक होगी, जिसमें सरकार के सत्तावादी निर्णय का विरोध करने और संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
कांग्रेस ने पीएम मोदी को घेरा
कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने कहा कि यह निलंबन केवल अनुचित और अन्यायपूर्ण है। अन्य दलों के अन्य सदस्य भी थे, जिन्होंने हंगामा किया लेकिन अध्यक्ष ने मुझे निलंबित कर दिया। पीएम मोदी जैसा चाहते हैं वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भारी बहुमत है।
कांग्रेस के ही निलंबित सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है; लोकतंत्र और संविधान की हत्या। हमें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है। यह एकतरफा, पक्षपाती, प्रतिशोधी निर्णय है। विपक्षी दलों से सलाह नहीं ली गई। हमने पिछले सत्र में विरोध किया था। हमने किसानों, गरीब लोगों के लिए विरोध किया था और सांसदों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित, वंचितों की आवाज उठाएं। संसद में आवाज नहीं उठाएंगे तो कहां करेंगे?
क्या था मामला ?
सांसद के मानसून सत्र के दौरान के कृषि बिल पर चर्चा करते हुए सांसद और मार्शलों के बीच झुमाझटकी देखने को मिली थी। कांग्रेस और कृषि बिल के खिलाफ रहे सांसदों ने मार्शलों पर बदतमीजी करने का आरोप लगाया था। जबकि सत्ता पक्ष का कहना था कि सांसदों ने मार्शलों के साथ बदतमीजी की थी।