डेस्क | उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में फर्जीवाड़े के जरिए नौकरी पाने वाले 812 टीचर्स को बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। बर्खास्त करने के ये आदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने चार दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट से आए आदेश के आधार पर किए हैं। इतना ही नहीं बर्खास्त होने वाले इन सभी फर्जी टीचर्स के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
मामला तकरीबन 15 साल पहले साल 2005 का है। उस वक्त यूपी के प्राइमरी स्कूलों में हो रही टीचर्स की भर्ती में आगरा की डॉ भीमराव अम्बेडकर युनिवर्सिटी की बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर तमाम लोगों ने नौकरी हासिल कर ली थी और ये लोग टीचर बन गए थे। बाद में ये मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए थे। एसआईटी जांच में न सिर्फ फर्जीवाड़े के आरोप सही साबित हुए बल्कि सरकार से इनकी बर्खास्तगी की भी सिफारिश की गई।
सरकार ने इनकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू की तो कार्रवाई की जद में आने वालों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी थी। इसके बाद इस फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी गई। चार दिन पहले 26 फरवरी को आए डिवीजन बेंच ने भी एकल पीठ के फैसले को सही माना था।
हाईकोर्ट के इसी आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने इन सभी की बर्खास्तगी के आदेश जारी किए हैं। इतना ही नहीं सभी बीएसए से ये भी कहा गया है कि वो इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराएं। हालांकि, इनको दिए गए वेतन और भत्तों की रिकवरी इनसे की जाएगी या नहीं, ये अभी तय नहीं है।