BIG BREAKING | कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे, 24 साल बाद गैर कांग्रेसी बॉस
1 min readMallikarjun Kharge elected as the new National President of Congress, non-Congress boss after 24 years
डेस्क। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को 24 साल बाद नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल गया है. मंगलवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव की मतगणना पूरी हो गई. जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने भारी बहुमत से चुनाव जीत लिया है. ऐसे में अब खडगे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं.
दरअसल, बुधवार यानि आज कांग्रेस कार्यालय में काउंटिंग प्रक्रिया हुई. सभी प्रदेशों से आए मतपत्रों को एकसाथ मिलाकर मतगणना की गई. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने थे. इस नतीजे में मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले हैं. जबकि शशि थरुर 1072 हजार के आसपास वोटों पर ही सिमट गए हैं. रुझानों में पहले खड़गे की जीत तय बताई जा रही थी, क्योंकि यह माना जा रहा है कि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक थी. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 8 अक्तूबर तक थी. जबकि 17 अक्तूबर यानि सोमवार को मतदान हुआ और आज यानि बुधवार 19 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए.
कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ. पार्टी गठन के 137 साल के इतिहास में ऐसा छठी बार है और साल 1998 के बाद पहली बार अध्यक्ष चुनने के लिए वोट डाले गए. राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए 9 हजार 900 में से 9 हजार 500 डेलीगेट्स ने मतदान किया. यानि कुल 96% मतदान हुआ. दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में और देशभर में 65 से अधिक केंद्रों पर मतदान हुआ था.
खड़गे कांग्रेस के 65वें राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं. सीताराम केसरी के बाद पहली बार गांधी-नेहरू परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बना है. वहीं खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता भी हैं. बाबू जगजीवनराम कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित नेता थे. आजादी के बाद 75 साल में से 42 साल तक पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास रही. जबिक 33 साल कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर गांधी परिवार से अलग नेताओं के पास रही.
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी. कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है. अध्यक्ष पद के लिए अब तक 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए हैं. 1998 के चुनाव में सोनिया गांधी और जितेंद्र प्रसाद के बीच मुकाबला था. इस चुनाव में सोनिया गांधी को लगभग 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद को मात्र 94 मिले थे. वहीं सोनिया के बाद राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से इनकार करने के बाद पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने का फैसला लिया गया था.
खड़गे का राजनीतिक सफर –
मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म 21 जुलाई 1942 को कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती स्थान पर हुआ था. गुलबर्गा में नूतन विद्यालय से स्कूली शिक्षा पूरी की, उसके बाद गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी के सरकारी लॉ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल के कार्यालय में एक जूनियर वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और अपने कानूनी करियर की शुरुआत में श्रमिक संघों के लिए मुकदमे भी लड़े.
खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ नेता के रूप में की थी, पहले कर्नाटक के गुलबर्गा शहर के गवर्नमेंट कॉलेज में उन्हें छात्रों के महासचिव के रूप में चुना गया. 1969 में, वह MSK मिल्स एम्प्लाइज यूनियन के कानूनी सलाहकार बन गए. वे संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता भी थे और उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई आंदोलन का नेतृत्व किया. 1969 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और गुलबर्गा शहर कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहली बार सन 1972 में विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की थी. 1978 में भी उन्हें विधानसभा चुनावों में जीत मिली थी. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के सबसे वायोवृद्ध नेताओ में शामिल हैं. खड़गे कांग्रेस शासन के दौरान बड़े पदों पर रहे हैं. इन्हे रेल और लेबर मंत्रालय का प्रभार मिल चुका है. मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम लगातार 10 बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड दर्ज है. खड़गे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं, जिसको लेकर समय-समय पर उन्हें पार्टी की ओर से वफादारी का इनाम भी मिलता रहा है. 2014 में खड़गे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया. लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया. पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया.