December 26, 2024

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Bajrang Punia Won Bronze | बजरंग पुनिया ने भारत के लिए जीता मेडल, पिता से विरासत में मिली कुश्ती

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नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में भारत को बजरंग पुनिया ने एक और ब्रॉन्ज मेडल दिलवाया है। कुश्ती में पुनिया ने कजाकिस्तान के रेसलर डाउलेट नियाजबेकोव को 8-0 से पराजित किया। इस तरह भारत को टोक्यो ओलंपिक में अब तक कुल 6 मेडल मिल चुके हैं।

बजरंग पुनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को झज्जर जिले के खुड्डन गांव में हुआ था। बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली, क्योंकि इनके पिता भी पहलवान रह चुके हैं। बजरंग ने महज सात साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी, जिसमें उन्हें अपने पिता का पूरा सहयोग मिला। बजरंग के सपने को साकार करने के लिए उनके पिता बस का किराया बचाकर साइकिल से अपने काम पर जाते थे। साल 2015 में बजरंग का परिवार सोनीपत में शिफ्ट हो गया, ताकि वह भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के सेंटर में ट्रेनिंग कर सकें।

बजरंग पुनिया की मेहनत उस समय रंग लाई, जब उन्होंने 2013 में दिल्ली में हुए एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद में बजरंग ने बुडापेस्ट में हुई विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के 60 किलो भारवर्ग वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। फिर बजरंग ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2014 के राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल जीता। उसी साल बजरंग एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीतने में कामयाब रहे थे।

इन चैम्पियनशिप में बजरंग को मिला गोल्ड –

इसके बाद बजरंग एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप (2017) और कॉमनवेल्थ गेम्स (2018) में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे. 2018 के ही एशियन गेम्स में बजरंग ने यादगार प्रदर्शन करते हुए 65 किलो भारवर्ग में पीला तमगा अपने नाम किया। उस समय बजरंग ने अपना यह गोल्ड मेडल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया था। अक्टूबर 2018 में हुए विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने के साथ ही वह 65 किलो भारवर्ग में दुनिया के नंबर-1 पहलवान बन गए।

शादी में लिए थे आठ फेरे –

बजरंग पुनिया पिछले साल नवंबर में संगीता फोगाट के साथ शादी के बंधन में बंधे थे। संगीता द्रोणाचार्य अवॉर्डी महावीर फोगाट की बेटी हैं। संगीता भी अपनी सगी बहनें गीता, बबीता और रितु फोगाट की तरह रेसलिंग के दांव-पेच आजमा चुकी हैं। दिलचस्प बात यह थी कि बजरंग पुनिया ने संगीता के साथ सात नहीं, बल्कि आठ फेरे लिए थे। आठवां फेरा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के नाम पर था।

वहीं, बजरंग पुनिया ने 2019 में कजाखस्तान के नूर सुल्तान में आयोजित विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। बजरंग ने क्वार्टर फाइनल में कोरिया के जोंग चोलसोन को 8-1 से मात दी थी। हालांकि सेमीफाइनल में बजरंग को कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। बाद में बजरंग पुनिया ने 65 किलो भारवर्ग में मंगोलिया के तुल्गा ओचिर को 8-7 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था। इसके साथ ही बजरंग विश्व चैम्पियनशिप में तीन पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान बन गए थे।

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