“आशीष भगत पर लगे सारे आरोप तथ्यों के निराधार , विक्रेताओं के अनुसार सौदा उनकी मर्ज़ी से हुआ”-आदित्य भगत
1 min read“आशीष भगत पर लगे सारे आरोप तथ्यों के निराधार , विक्रेताओं के अनुसार सौदा उनकी मर्ज़ी से हुआ”
जशपुर जिले के ज़मीन सौदे से संबंधित मामले में आशीष भगत पर लगे सारे आरोप निराधार साबित हुए। कलेक्टर महादेव कावरे ने सात कोरवा आदिवासियों की शिकायत पर जांच समिति गठित की। यह पूरा मामला पहाड़ी कोरवाओं की ज़मीन लेने से शुरू हुआ था, मगर तथ्य यह है कि छत्तीसगढ़ में कोरवा जनजाति को लेकर जो व्यवस्था बनाई गई है उसके अंतर्गत पहाड़ी कोरवा और दिहाड़ी कोरवा जनजाति को रखा गया। जिसमें पहाड़ी कोरवाओं को विशेष पिछड़ी जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं के सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार विकासखंड मनोरा, जिला जशपुर में कुल 196 पहाड़ी कोरवा परिवार हैं। ज़मीन विक्रेताओं में से कोई भी उपरोक्त सूची में शामिल नहीं है।
दस्तावेजों और परिस्थितियों की जाँच से यह भी सामने आया है कि सौदा पूर्णतः पारदर्शी रही है। विक्रेताओं को सारी बातों से अवगत कराते हुए उनकी मर्जी से यह सौदा किया गया था। हालांकि, बड़ा परिवार होने और अन्य सदस्यों द्वारा सौदे से असहमति जताने का हवाला देते हुए, विक्रेताओं ने सौदा निरस्त कर ज़मीन वापस करने की मांग की है।
इस संबंध में आशीष भगत के बड़े भाई आदित्य भगत का कहना है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते परिवार को बदनाम करने की कोशिश की गई है। ज़मीन सौदेबाज़ी की प्रक्रिया पारदर्शितापूर्ण रही है, छोटे भाई आशीष भगत को बेवजह घसीटा गया है। हालांकि गलती न होते हुए भी आशीष भगत ने विक्रेताओं की माँग के अनुरूप खरीदी गई ज़मीन वापस करने का फैसला किया है।
आदित्य भगत का कहना है कि ज़मीन विक्रेताओं के दावे के विपरीत तथ्य यह है कि ज़मीन विक्रेता भूमिहीन नहीं हैं। जांच के बाद यह पता चला है कि जिन्होंने आशीष भगत को ज़मीन बेचा था, उनके पास ग्राम करदना और ग्राम गेड़ई में 100 एकड़ से ज्यादा ज़मीन हैं। जबकि अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था कि उनके पास इसके अलावा और कोई ज़मीन नहीं है।
गौरतलब है कि जशपुर के राजनीतिक विरोधियों द्वारा सोशल मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों से मंत्री अमरजीत भगत पर आरोप लगाया गया, उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की गई। साथ ही इस ज्वलंत मुद्दे पर सीधे आरोप लगाते हुए, स्थानीय समाचार पोर्टल एवं समाचार पत्रों ने मामले को प्रभावित करने की कोशिश की। अब देखने योग्य बात यह होगी कि आशीष भगत जो कि प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट हैं, उनके ऊपर ऐसे तथ्यहीन आरोप लगाने वालों पर कोर्ट की प्रतिक्रिया क्या होती है?