Chhattisgarh | हिडमा की मौत से माओवादियों को बड़ा झटका, सुरक्षा बलों का सफल अभियान

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Chhattisgarh: Hidma’s death a major blow to Maoists, security forces’ successful operation

सुकमा। आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे ऑलूरी सीतारामाराजू जिले के मारेडूमिल्ली जंगल में मंगलवार सुबह सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ में कुख्यात माओवादी कमांडर माडवी हिडमा मारा गया। मुठभेड़ में कुल छह माओवादी ढेर हुए हैं, जिनमें हिडमा की पत्नी राजे उर्फ राजक्का भी शामिल है।

माडवी हिडमा पर सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कम से कम 26 बड़े हमलों की कमान संभालने का आरोप था। उसका जन्म 1981 में सुकमा में हुआ था और वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की बटालियन प्रमुख और CPI माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था। हिडमा बस्तर क्षेत्र से शामिल होने वाला एकमात्र आदिवासी सदस्य भी था। उसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

हिडमा कई बड़े नक्सली हमलों का मुख्य चेहरा रहा। इनमें 2010 का दंतेवाड़ा हमला (76 सीआरपीएफ जवान शहीद), 2013 का झीरम घाटी हमला (कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे गए) और 2021 का सुकमा-बीजापुर एंबुश (22 सुरक्षा कर्मी शहीद) शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता ने बताया कि मुठभेड़ सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच हुई और पूरे क्षेत्र में व्यापक कॉम्बिंग ऑपरेशन जारी है। सुरक्षा एजेंसियां हिडमा की मौत को माओवादियों के लिए बड़ा झटका मान रही हैं, खासकर ऐसे समय में जब लगातार आत्मसमर्पण और अभियान से उनकी ताकत कम हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बताया था कि 24 घंटे में 300 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। माओवादी नेता मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने 14 अक्टूबर को आत्मसमर्पण करते हुए अपने साथियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की थी।

हिडमा की मौत से माओवादियों की कमान और संगठन में अस्थिरता बढ़ने की संभावना है और इसे सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

 

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