Chhattisgarh | After 11 years, the High Court sternly dismissed the petition seeking compassionate employment.
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए एसईसीएल कर्मचारी की मौत के 11 साल बाद दायर अनुकंपा नियुक्ति की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि इतनी देरी से किया गया आवेदन योजना के मूल उद्देश्य को खत्म कर देता है, क्योंकि यह योजना उस परिवार को तत्काल राहत देने के लिए है, जिसका आय का स्रोत अचानक खत्म हो गया हो।
मामला एसईसीएल के एसडीएल ऑपरेटर स्वर्गीय इंजार साय की ड्यूटी के दौरान हुई मौत से जुड़ा है। इंजार साय की दो पत्नियों के बीच विवाद के कारण मामला सालों तक अदालत में अटका रहा। पहली पत्नी शांति देवी का आवेदन 2009 में एसईसीएल ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पहले विवाद का निपटारा सिविल कोर्ट में किया जाए।
इसके बाद दूसरी पत्नी इंद्रकुंवर ने 2017 में अपनी विवाहित बेटी प्रवीण के नाम से आवेदन किया। मगर एसईसीएल ने इसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि आवेदन में 11 साल की देरी है और आवेदिका विवाहित है।
याचिका खारिज करने के बाद मां-बेटी ने डिवीजन बेंच में अपील की, लेकिन अदालत ने भी सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया और कहा “इतने लंबे समय तक बिना सहायता के जीवनयापन करने के बाद अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य समाप्त हो जाता है।”
