Chhattisgarh | Farmers will get a permanent source of income from palm cultivation
रायपुर, 10 अगस्त 2025. छत्तीसगढ़ में पॉम की खेती किसानों के लिए स्थायी और लाभदायक आय का स्रोत बन रही है। राज्य सरकार, केंद्र के सहयोग से, राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन के तहत किसानों को प्रोत्साहन दे रही है। इस योजना में किसानों को प्रति हेक्टेयर एक-एक लाख रुपये का अनुदान केंद्र और राज्य सरकार से मिलता है, साथ ही तकनीकी मार्गदर्शन और निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
पॉम ऑयल की मांग देशभर में तेज़ी से बढ़ रही है। इसका उपयोग बिस्किट, चॉकलेट, मैगी, स्नैक्स, साबुन, डिटर्जेंट, क्रीम और बायोफ्यूल जैसे अनेक उत्पादों में होता है। वर्तमान में देश में 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पॉम का रोपण हो चुका है और 2029-30 तक 28 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
छत्तीसगढ़ में 17 जिलों जिनमें बस्तर, दंतेवाड़ा, महासमुंद, रायगढ़, जशपुर, सरगुजा, बिलासपुर जैसे जिले शामिल हैं—में पॉम की खेती को बढ़ावा मिल रहा है। पिछले चार वर्षों में 1,150 किसानों के 1,600 हेक्टेयर में पौधारोपण किया गया है। इस वर्ष 802 किसानों के 1,089 हेक्टेयर में रोपण कराया गया है।
रायगढ़ जिले के किसान राजेंद्र मेहर ने उद्यान विभाग की मदद से अपने 10 एकड़ खेत में 570 पॉम पौधे लगाए। पहले उनकी ज़मीन खाली पड़ी थी, लेकिन तकनीकी जानकारी मिलने के बाद उन्होंने पॉम खेती शुरू की और अब स्थायी आय की उम्मीद कर रहे हैं।
उद्यानिकी विभाग के अनुसार, पॉम की फसल तीसरे वर्ष से उत्पादन देती है और 25-30 साल तक लगातार उपज मिलती है। एक हेक्टेयर से प्रति वर्ष 15-20 टन उत्पादन संभव है, जिससे किसानों को ढाई से तीन लाख रुपये सालाना आय हो सकती है।
किसानों को बिक्री की चिंता भी नहीं करनी पड़ती। सरकार ने अनुबंधित कंपनियों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खेत से ही फसल खरीदी का इंतजाम किया है और भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाता है।
पॉम पौधों के बीच किसान अंतरवर्तीय फसलें भी ले सकते हैं, जिसके लिए अलग से सब्सिडी दी जाती है। साथ ही सिंचाई, बोरवेल, ड्रिप इरिगेशन और कृषि उपकरणों पर भी अनुदान का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ में यह पहल न सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने में मदद करेगी, बल्कि राज्य को खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम कदम साबित होगी।
