Chhattisgarh | युक्तियुक्तकरण का असर, कमकासुर में फिर गूंजे ‘क ख ग’, शिक्षा की लौ से रोशन हुआ नक्सल प्रभावित गांव

Chhattisgarh | The effect of rationalization, ‘A Kha Ga’ echoed again in Kamkasur, Naxal-affected village lit up with the flame of education
रायपुर, 7 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ के सबसे दुर्गम और नक्सल प्रभावित आदिवासी क्षेत्र कमकासुर में अब फिर से बच्चों की आवाज़ों में क, ख, ग… के सुर सुनाई देने लगे हैं। यह संभव हो सका है छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण नीति के सकारात्मक क्रियान्वयन से, जिसके तहत लंबे समय से शिक्षक विहीन इस विद्यालय में प्रधान पाठक की नियुक्ति की गई है।
कमकासुर: जहां शिक्षा ठहर गई थी –
मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी जिले का यह घना वनाच्छादित गांव, जो जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर है, लंबे समय से नक्सली गतिविधियों के चलते विकास से कटता रहा है। यहां की शासकीय प्राथमिक शाला में 14 छात्र नामांकित हैं, लेकिन बीते एक वर्ष से शिक्षक न होने के कारण पढ़ाई पूरी तरह बंद थी। बच्चों का मनोबल टूट रहा था और पालकों की चिंता गहराती जा रही थी।
शिक्षक की नियुक्ति से लौटी उम्मीद –
शासन की युक्तियुक्तकरण पहल के तहत अब यहां एक प्रधान पाठक की नियुक्ति की गई है, जिससे स्कूल में फिर से पढ़ाई शुरू हुई है। इसके साथ ही बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि देखी जा रही है और उनके चेहरों पर उत्साह लौट आया है।
गांव के लोगों ने कहा – “यह बदलाव राज्य सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है। अब हमारे बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।
शिक्षा के माध्यम से सामाजिक समरसता –
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण को प्राथमिकता दी है। इसका मकसद है – हर गांव तक शिक्षक पहुंचे, हर बच्चा पढ़ सके।
कमकासुर जैसे क्षेत्र में शिक्षक की नियुक्ति केवल एक शैक्षणिक निर्णय नहीं, बल्कि यह सामाजिक बदलाव की दिशा में मजबूत कदम है।
अब स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ के सुदूर और संवेदनशील इलाकों में भी शिक्षा की रोशनी पहुंच रही है। शासन की नीतियां जब जमीनी स्तर तक अमल में लाई जाती हैं, तो उनका असर बच्चों की मुस्कान और अक्षर ज्ञान की गूंज में सुनाई देता है।