Chhattisgarh | लोकतंत्र केवल शासन नहीं, जीने की पद्धति है, आपातकाल स्मृति दिवस पर लोकतंत्र सेनानियों को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया सम्मानित

Chhattisgarh | Democracy is not just a government, it is a way of life, Chief Minister Vishnudev Sai honored democracy fighters on Emergency Memorial Day
रायपुर, 26 जून 2025। छत्तीसगढ़ में आज आपातकाल स्मृति दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करते हुए कहा कि “लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है।”
उन्होंने कहा कि आज हम जिस आजादी में सांस ले रहे हैं, उसके पीछे उन लोकतंत्र सेनानियों का बलिदान है, जिन्होंने आपातकाल के 21 महीनों में अपमान, यातना और जेलों की पीड़ा सही। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र विरोधी ताकतों ने संविधान और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया था। ऐसे दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठाना किसी वीरता से कम नहीं था।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर श्री सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘वो 21 महीने: आपातकाल’ का विमोचन किया। उन्होंने बताया कि उनकी स्वयं की पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी यह संघर्ष जुड़ा रहा है-उनके स्वर्गीय पिता श्री नरहरि प्रसाद साय भी 19 महीने जेल में रहे थे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों के लिए सम्मान राशि की योजना फिर से प्रारंभ की है और पिछली सरकार द्वारा रोकी गई पाँच वर्षों की बकाया राशि भी चुका दी है। अब लोकतंत्र सेनानियों की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी और उनके परिजनों को ₹25,000 की सहायता राशि भी दी जाएगी। एक अधिनियम पारित कर यह सुनिश्चित किया गया है कि यह योजना भविष्य में बंद न हो सके।
कार्यक्रम की मुख्य बातें –
लोकतंत्र सेनानियों को मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित।
लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए संघर्षरत रहने का आह्वान।
आपातकाल के दौरान की क्रूरता को याद कर भावुक हुए मुख्यमंत्री।
‘वो 21 महीने: आपातकाल’ पुस्तक का विमोचन।
लोकतंत्र सेनानियों की अंतिम यात्रा अब राजकीय सम्मान के साथ।
कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थिति –
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, विधायक श्री मोतीलाल साहू, श्री पवन साय, श्री सच्चिदानंद उपासने, दीपक म्हस्के, संजय श्रीवास्तव, अमरजीत छाबड़ा, नन्द कुमार साहू, दिवाकर तिवारी सहित कई लोकतंत्र सेनानी एवं उनके परिजन।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि “आपातकाल केवल राजनीतिक निर्णय नहीं था, वह लोकतंत्र के स्तंभों पर हमला था—न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया सभी को बंधक बना लिया गया था।”
उन्होंने कहा कि आज अगर लोकतंत्र जीवित है, तो उसका श्रेय उन सेनानियों को जाता है जिन्होंने संविधान और देश की आत्मा की रक्षा के लिए कष्ट सहा।