November 24, 2024

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अब सभी शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की देख-रेख के तहत काम करेंगे, कैबिनेट ने दी मंज़ूरी

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देश में कुल 1,482 शहरी सहकारी और 58 के क़रीब बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं, जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हैं. इन बैंकों में लगभग 4.85 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जमा है. सरकार का कहना है कि इस क़दम का उद्देश्य पीएमसी बैंक जैसे घोटाले रोकना है.

Delhi/www.thenewswave.com केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि अब सभी शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की देख-रेख के तहत काम करेंगे.

सरकार के अनुसार, इस कदम का मकसद देश में पीएमसी बैंक जैसे घोटाले रोकना और सहकारी बैंकों के ग्राहकों को भरोसा देना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस संबंध में राष्ट्रपति एक अध्यादेश जारी करेंगे.

जावड़ेकर ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश के 1,540 शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंक अब रिजर्व बैंक की निरीक्षण प्रक्रिया के तहत आ जाएंगे.

यह प्रक्रिया अब तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के मामले में ही अपनाई जाती रही है. जावड़ेकर ने कहा, ‘इस फैसले से सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को भरोसा होगा कि उनका पैसा सुरक्षित है.’

देश में कुल मिलाकर 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 के करीब बहु-राज्यीय सहकारी बैंक है जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हुए हैं. इन बैंकों में करीब 4.85 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जमा है.

सरकार का यह कदम इस लिहाज से काफी अहम है कि पिछले कुछ समय में कई सहकारी बैंकों में घोटाले सामने आए हैं और इससे बैंक के जमाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

पंजाब एण्ड महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी बैंक) घोटोले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा. घोटाला सामने आने के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से ग्राहकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी.

पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बाद आरबीआई ने 23 सितंबर 2019 को बैंक पर नियामकीय अंकुश लगा दिए थे.

पीएमसी बैंक के बाद आरबीआई ने इस साल जनवरी में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित श्री गुरु राघवेंद्र को-आपरेटिव बैंक से भी पैसे निकालने की सीमा तय कर दी थी.

यह अंकुश इसलिए लगाया था क्योंकि पिछले तीन माह से बैंक को 350 करोड़ रुपये की ऋण भुगतान में चूक या डिफॉल्ट का सामना करना पड़ा था.

इसके बाद आरबीआई ने मुंबई आधारित सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था. आरबीआई का कहना था कि बैंक वित्तीय अस्थिरता की वजह से मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं था.

रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में भी पीपुल्स सहकारी बैंक, कानपुर पर भी निकासी से जुड़े प्रतिबंध लगा दिए थे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 मार्च 2020 को लोकसभा में ‘बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक 2020’ पेश किया था. यह अभी लंबित है.

इस संशोधन विधेयक के जरिये रिजर्व बैंक कि बैंकिंग नियमक दिशानिर्देशों को सहकारी बैंकों पर भी लागू किया जायेगा. सीतारमण ने एक फरवरी 2020 को पेश बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया था.

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