November 23, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

रथयात्रा Permission : सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथपुरी रथयात्रा को यह कहकर दी है अनुमति..

1 min read
Spread the love

 

नई दिल्ली । 23 जून से शुरू होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथपुरी रथयात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखा दी है। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ यात्रा को इस साल भी निकालने की अनुमति दे दी है। आदेश में कहा गया है कि कुछ शर्तों के साथ केंद्र और राज्य सरकार इस रथयात्रा के लिए कोविड-19 के गाइडलाइंस के तहत इंतजाम करेंगी। कोर्ट ने कहा कि वो स्थिति को ओडिशा सरकार के ऊपर छोड़ रहा है। अगर यात्रा के चलते स्थिति हाथ से बाहर जाते हुए दिखती है, तो सरकार यात्रा पर रोक भी लगा सकती है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वो लोगों की सेहत के साथ समझौता नहीं करेंगे। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों वाली बेंच ने की। CJI बोबडे ने कहा कि इस मामले में कोर्ट लोगों की सेहत के साथ समझौता नहीं कर सकता।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

मामले में केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता किए बिना और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से रथ यात्रा का संचालन किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने कहा, ‘किसी भी स्वास्थ्य मुद्दे से समझौता नहीं किया जाएगा  और लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा।’

SG ने कहा, ‘जगतगुरू शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है। केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है।’ CJI ने इस पर सवाल पूछा कि ‘शंकराचार्य को क्यों शामिल किया जा रहा है? पहले से ट्रस्ट और मन्दिर कमेटी ही आयोजित करती है. तो शंकराचार्य को सरकार क्यों शामिल कर रही है?’ इस पर मेहता ने जवाब दिया कि केंद्र उनसे मशविरा लेने की बात कर रहे है क्योंकि वो ओडिशा के लिए धार्मिक सर्वोच्च गुरू हैं। वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि कर्फ्यू लगा दिया जाय। रथ को सेवायत या पुलिस कर्मी खींचें जो कोविड निगेटिव हों।

उड़ीसा विकास परिषद का पक्ष रख रहे वकील रणजीत कुमार ने अपनी दलील में कहा कि केवल रथ यात्रा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को अनुमति दिया जाना चाहिए। अगर मंदिर से सभी लोगों को अनुमति दी जाती है तो संख्या बहुत बड़ी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि ‘याचिकाकर्ता की ओर से ढाई हजार पंडे मन्दिर व्यवस्था से जुड़े हैं। सबको शामिल करने से और दिक्कत-अव्यवस्था बढ़ेगी। 10 से 12 दिन की यात्रा होती है, इस दौरान अगर कोई प्राब्लम होती है तो वैकल्पिक इंतजाम जरूरी है।’

CJI ने क्या-क्या कहा?

इसपर CJI ने कहा कि ”हमें पता है, ये सब माइक्रो मैनेजमेंट राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। केंद्र की गाइडलाइन के प्रावधानों का पालन करते हुए जनस्वास्थ्य के हित मुताबिक व्यवस्था हो।’ तुषार मेहता ने कहा, ‘गाइडलाइन के मुताबिक व्यवस्था होगी।’ तो इसपर CJI ने उनसे सवाल किया- ‘आप कौन सी गाइडलाइन की बात कर रहे हैं?’ जिसके जवाब ने SG ने कहा कि जनता की सेहत को लेकर गाइडलाइन का पालन होगा।

एक भक्त संगठन का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने कहा, ‘यदि इसका लाइव टेलीकास्ट होगा लाइव हम टेलीविजन पर देखेंगे। यदि सेवायत इसे करते हैं तोे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26  का सही ढंग से संतुलन होगा। इससे धार्मिक आस्था के अधिकारों का ध्यान रखा जाएगा।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वो रथ यात्रा की बारीकी में नहीं जाना चाहता. वो ये सारी चीजें राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ देगा। CJI ने कहा, ‘हम कोई विस्तृत आदेश पारित नहीं करने जा रहे हैं। हम इसे बारीकी से प्रबंधित करने नहीं करने जा रहे हैं।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *