छत्तीसगढ़ शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना
1 min readरायपुर । छत्तीसगढ़ शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता स्वच्छ पेयजल हर घर तक उपलब्ध करना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार के निर्देशन में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कोण्डागांव द्वारा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान में 9 हजार 164 हैण्ड पंप स्थापित है। इसी प्रकार जिले के 85 ग्रामों में नल-जल योजना के माध्यम से और 75 ग्रामों में स्थल जल प्रदाय योजना तथा 52 अन्य ग्रामों में सोलर पंप के माध्यम से पेयजल प्रदाय किया जा रहा है, जबकि जल आयरन युक्त जल से प्रभावित विकासखण्ड कोण्डागांव के ग्राम घोड़ागांव में 14 और ग्राम माकड़ी में 06 नग फ्लोराईड रिमूव्हल प्लांट स्थापित किए गए है। इसी प्रकार कोण्डागांव, फरसगांव एवं केशकाल नगर पंचायतों में नगरीय निकाय द्वारा जल प्रदाय योजना संचालित और संधारित की जा रही है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने पेयजल विहीन पारे-टोलों में हैण्डपंप स्थापना हेतु सर्वेक्षण भी किया गया है। इस पर शीघ्र अमल करने के लिए विभाग ने अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की है। इसके अलावा बीपीएल परिवारांे के लिए मिनीमाता नल-जल योजना के तहत घर-घर में नल कनेक्शन का कार्य भी सम्पन्न किया जा रहा है। इससे निर्धन परिवारों को बड़ी राहत होगी। साथ ही आगामी पांच वर्षों में विभाग द्वारा जल-जीवन मिशन के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को नल कनेक्शन दिया जाना प्रस्तावित है।
सोनाबाल में अब पानी के तू-तू मैं-मैं खत्म
विकासखण्ड कोण्डागांव के ग्राम ठेमगांव की ग्रामीण महिला लखमी बाई ने बताया कि नल-जल योजना के द्वारा घर-घर नल कनेक्शन होने से अब बोरवेल जाने की जरुरत नहीं होती। घर में ही शुद्ध साफ पानी मिल जाता है। इससे घरेलू कार्य करने में आसानी हो गई है। इसी प्रकार ग्राम सोनाबाल की महिलाएं शारदा, सावित्री एवं सुमित्रा ने बताया कि पहले बोरवेल से पानी लाना थकावट से भरा कार्य था। उस पर कभी-कभी पानी के लिए तू-तू मैं-मैं की भी स्थिति आ जाती थी। पड़ोसियों से रिश्तें भी खराब हो जाते थे, परन्तु घरों में नल कनेक्शन होने से हम गृहणियां सर्वाधिक खुश है। अब समय से पानी भर लिया जाता है। समय की भी बचत हो जाती है।