सिर्फ खेती के भरोसे नहीं गढ़ा जा सकता नवा छत्तीसगढ़, निवेशक नहीं आए इसलिए मेक इन इंडिया फेल
1 min read●सिर्फ खेती के भरोसे नहीं गढ़ा जा सकता नवा छत्तीसगढ़, निवेशक नहीं आए इसलिए मेक इन इंडिया फेल कार्यक्रम के दौरान डायस पर पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के डॉ रविंद्र ब्रम्हे और एक्सपर्ट्स।
●रायपुर में जुटे देशभर के अर्थशास्त्रियों ने दी अपनी राय
इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 102वां अधिवेशन।
●रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 102वें अधिवेशन के दूसरे दिन देशभर से आए अर्थशास्त्रियों ने अपनी बात रखी। इस कार्यक्रम का आयोजन शहर के दीनदयाल ऑडिटोरियम समेत, साइंस कॉलेज व यूनिवर्सिटी कैंपस के सेमीनार हॉल में किया गया। देश के गांवों और शहरों के आर्थिक विकास पर अपनी अहम राय साझा की। कार्यक्रम के पहले सत्र में मेक इन इंडिया और ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास पर चर्चा की गई। इसमें बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इकोनॉमी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनूप मिश्रा भी शामिल हुए।
●मेक इंडिया इस वजह से हुआ फ्लॉप
●मेक इंडिया योजना की मौजूदा स्थिति पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के डॉ अनूप ने रखी बेबाक राय
डॉ मिश्रा ने कहा कि मेक इन इंडिया भारत सरकार की एक अच्छी योजना रही, मगर जब इसे लॉन्च किया गया तब देश के हालात देखकर निवेशक नहीं आए पूंजी फंसने के डर से किसी ने भारतीय बाजार में हाथ नहीं डाला। लिहाजा यह फ्लॉप हुआ, मगर सरका ने हार नहीं मानी प्रयास जारी हैं। मेक इन इंडिया का मतलब है देश का आत्मनिर्भर बनना, अगर इंडिया मैनुफैक्चरिंग नहीं करेगा तो, एक्सपोर्ट ग्रोथ नहीं होगा तो हम दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन सकते। इंडिया और चायना में ट्रेड वॉर चल रही है, ऐसे में कारोबारी वहां से शिफ्ट होना चाहते हैं ऐसे में इस मौके का फायदा भारत को उठाना चाहिए, तब बात बनेगी।
●नवा छत्तीसगढ़ के लिए उद्योग जरुरी
●पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी की तरफ से आयोजित इस अधिवेशन के बारे में जानकारी देते हुए इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ रविंद्र ब्रम्हे ने बताया कि नवा छत्तीसगढ़ विषय पर भी चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि इस चर्चा के चेयरमैन होंगे राज्य के आईएएस अधिकारी अजय सिंह रहे, साथ ही सीजीपीएससी के मेंबर रह चुके डॉ डीके मल्होत्रा व फिक्की के प्रेसीडेंट प्रदीप टंडन ने इस चर्चा में शिरकत की।
●एक्सपर्ट्स ने योजनाओं के दूरगामी परिणामों को सोचकर ही तैयार करने पर जोर दिया। अजय सिंह ने कहा कि प्रदेश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विजन के मुताबिक काम किया जा रहा है। खेती का विशेष योगदान है राज्य के विकास में, खेती के क्षेत्र में एग्रो मार्केटिंग और प्रोसेसिंग यूनिट लगाने और उनके संरक्षण पर जोर दिया।
●प्रदीप टंडन ने कहा कि उद्योगों के लिए सरल नीतियों पर जोर दिया। एक्सपर्ट्स ने कहा कि उद्योगों को स्थापित किए जाने के नियमों का जमीनी स्तर पर सरल होना बेहद जरूरी है। निवेश राज्य को दूरगामी प्रगति देता है। आईटी जैसे कई सेक्टर्स हैं जिनमें छत्तीसगढ़ फिल्हाल पिछड़ा हुआ है, हमें ऐसे उद्योगों को यहां माहौल देने की जरुरत है। सिर्फ कृषि के भरोसे अर्थव्यवस्था को मजबूत करना या राज्य में रोजगार के हालात पैदा कर पाना मुमकिन नहीं।
●समापन पर होंगी यह चर्चाएं
●रविवार 29 दिसंबर को इस अधिवेशन का समापन होगा। इसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर विषय पर चर्चा होगी। इस चर्चा में एग्रीकल्चर इकोनामिक रिसर्च एसोसिएशन के चेयरमैन पीके जोशी शामिल होंगे। इनके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार से अमित मोहन प्रसाद, त्रिवेंद्रम की यूनिवर्सिटी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर प्रियेश इस चर्चा का हिस्सा होंगे
बिग डाटा और एआई डेवलपमेंट विषय पर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट महेंद्र देव, जादवपुर यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स प्रोफेसर विश्वजीत चटर्जी, बैंक ऑफ बड़ौदा के रिस्क मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के सीनियर मैनेजर संजय प्रसाद शामिल होंगे।
●मेक इन इंडिया के ग्लोबल और घरेलू चैलेंज के विषय पर इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के फॉर्मर वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर बी लोकनाथन शामिल होंगे, इसमें गुंटुर के अचार्य नागार्जुन यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के हेड डॉ के मधु बाबू, बिहार के एसएस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सुबोध कुमार सिन्हा शामिल होंगे