Subrata Roy Passed Away | नहीं रहें सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय, आज होगा अंतिम संस्कार, चर्चा में रहा पूरा जीवन
1 min readSubrata Roy Passed Away | Sahara Group chief Subrata Roy is no more, funeral to be held today, his entire life was in discussion
रायपुर डेस्क। सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार (14 नवंबर) देर रात निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। आज उनका शव लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।
बता दें कि 1948 में बिहार के अररिया जिले में जन्में सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय का यूपी के गोरखपुर से गहरा रिश्ता रहा है। उन्होंने अपनी पढ़ाई और कारोबार दोनों की शुरुआत यहीं से की थी। फिर देखते ही देखते महज 2000 रुपये से शुरू किये गए फाइनेंस कंपनी के कारोबार को 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाया, लेकिन एक समय था जब सुब्रत रॉय गोरखपुर के बेतियाहाता में एक वकील के घर में किराये पर रहते थे। वहीं पर उनके बच्चों का जन्म हुआ।
आगे चलकर ‘सहारा श्री’ सुब्रत रॉय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो फाइनेंस, रियल स्टेट, मीडिया और हॉस्पिटैलिटी समेत अन्य क्षेत्रों तक फैला हुआ है। 1978 में उन्होंने ‘सहारा इंडिया परिवार’ ग्रुप की स्थापना की थी। रॉय का गोरखपुर से खासा लगाव था। इसी वजह से मीडिया क्षेत्र हो या फिर रियल इस्टेट गोरखपुर में उनकी कंपनी ने बड़ा निवेश किया। 2000 में रॉय के बुलावे पर अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज फिल्म स्टार गोरखपुर पहुंचे थे।
किराये का कमरा और स्कूटर की सवारी –
सुब्रत रॉय ने साल 1978 में अपने एक मित्र एसके नाथ के साथ गोरखपुर में फाइनेंस कंपनी की शुरूआत की थी, जिसका ऑफिस सिनेमा रोड पर स्थित था। शुरू में ये किराये का ऑफिस एक कमरे का था, जिसमें दो कुर्सियां लगी होती थीं, जहां रॉय अपने स्कूटर से आते थे।
इस फाइनेंस कंपनी के जरिए सुब्रत रॉय छोटे-छोटे दुकानदारों से सेविंग्स कराते थे। कुछ समय में पूंजी थोड़ी बढ़ी तो कपड़े और पंखे की छोटी फैक्ट्री भी शुरू कर दी। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस दौरान वह अपने स्कूटर से ही पंखा और अन्य उत्पादों को बेचा करते थे। खुद दुकान-दुकान जाकर पंखा पहुंचाते और दुकानदारों को छोटी सेविंग्स के बारे में जागरूक करते।
धीरे-धीरे उनकी बातों का असर हो रहा था। लोग उनसे जुड़ रहे थे। खासकर मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के लोग, बैंकिंग जरूरतों और रोजगार के अवसर के बीच सुब्रत रॉय की स्कीम सफल साबित होने लगी। हालांकि, इस बीच 1983-84 में रॉय के कारोबारी मित्र एसके नाथ ने अलग होकर दूसरी कंपनी बना ली, जिसके बाद रॉय ने लखनऊ में अपनी कंपनी का मुख्यालय खोला और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
फर्श से अर्श तक का सफर –
गौरतलब है कि गोरखपुर से शुरुआत करने वाले सुब्रत रॉय ने बुलंदियों को हासिल किया। रॉय ने 1970 के दशक के अंत में चिटफंड बिजनेस की शुरुआत की थी और देखते ही देखते एक ऐसा साम्राज्य खड़ा कर लिया, जिसमें एयरलाइन, टेलीविजन चैनल और रीयल एस्टेट शामिल थे।
रॉय के सहारा इंडिया परिवार को ‘टाइम मैगजीन’ ने रेलवे के बाद भारत में दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में प्रतिष्ठित किया था, जिसमें करीब 12 लाख कर्मचारी काम करते थे। रीयल एस्टेट की बात करें तो इसमें उनका महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट Aamby Valley City भी था, जो महाराष्ट्र में लोनावाला के पास है। इसके अलावा रॉय ने साल 1993 में एयर सहारा शुरू की थी, जिसे बाद में उन्होंने जेट एयरवेज को बेच दिया। साल 2001 से 2013 तक सहारा ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर भी रहा। वहीं, सहारा की टीम ‘पुणे वॉरियर्स’ ने 2011 में आईपीएल में एंट्री ली थी।
बेटों की शादी चर्चा में रही थी –
साल 2004 में हुई सुब्रत रॉय के दोनों बेटों की शादी का जश्न हफ्ते भर से अधिक समय तक मनाया गया था। इस शादी को शताब्दी की सबसे चर्चित भारतीय शादी बताया गया था। शादी समारोह में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए थे, जिसमें बिजनेस जगत की हस्तियां, बॉलीवुड के सितारे, क्रिकेट और फैशन वर्ल्ड के दिग्गज शामिल हुए थे। इन मेहमानों को विशेष विमानों से लखनऊ ले जाया गया था।