कोरोना: अगर प्रधानमंत्री होते तो क्या करते? राहुल गांधी ने दिया ये जवाब
1 min readकोरोना: अगर प्रधानमंत्री होते तो क्या करते? राहुल गांधी ने दिया ये जवाब
◆गांव में मनरेगा और शहर में Nyay से मिलेगी सुरक्षा
◆मजदूरों के लिए कुछ समय सरकार लागू करे Nyay
●कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के प्रयासों और लॉकडाउन की वजह से देश में उपजे हालत को लेकर चर्चा की. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज के ऐलान को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि जब बच्चा रोता है तो मां उसे कर्ज नहीं देती है, ट्रीट देती है. सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है. इसलिए सरकार को साहूकार की तरह काम नहीं करना चाहिए.
●इस दौरान एक मीडियाकर्मी ने राहुल गांधी से सवाल किया कि अगर आप प्रधानमंत्री होते तो क्या करते. इस सवाल के जवाब में राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री नहीं हूं. इसलिए एक काल्पनिक स्थिति को लेकर मैं बात नहीं कर सकता. लेकिन एक विपक्ष के नेता के तौर पर कहूंगा कि कोई भी आदमी घर छोड़कर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जाता है. इसलिए सरकार को रोजगार के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय रणनीति बनानी चाहिए.
●राहुल ने कहा कि मेरे हिसाब से सरकार को तीन टर्म- शॉट, मिड और लॉन्ग में काम करना चाहिए. शॉर्ट टर्म में डिमांड बढ़ाइए. इसके तहत आप हिंदुस्तान के छोटे और मझोले व्यापारियों को बचाइए. इन्हें रोजगार दीजिए. आर्थिक मदद कीजिए. स्वास्थ्य के हिसाब से आप उन लोगों का ख्याल रखिए जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा है.
●उन्होंने आगे कहा, मिड टर्म में छोटे और मझोले व्यापार को मदद कीजिए. हिंदुस्तान को 40 प्रतिशत रोजगार इन्हीं लोगों से मिलता है इसलिए इनकी आर्थिक मदद भी करनी चाहिए. बिहार जैसे प्रदेशों में ही रोजगार बढ़ाने पर ही ध्यान दीजिए.
●मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को लेकर राहुल गांधी ने सुझाव देते हुए कहा, ‘दस साल पहले का भारत और आज का हिंदुस्तान दोनों अलग-अलग हैं. आज बहुत सारे मजदूर शहरों में रहते हैं. इसलिए मेरा विचार है कि गांव में इनकी सुरक्षा के लिए मनरेगा और शहर में Nyay (न्यूनतम आय योजना) योजना होनी चाहिए. जिससे कि इनके बैंक अकाउंट में कुछ पैसा भेजा जा सके. सरकार चाहे तो Nyay योजना को कुछ समय के लिए लागू करके देख सकती है.’
●इससे पहले राहुल गांधी ने सरकार की मदद को नाकाफी बताते हुए कहा कि उनकी सहायता कर्ज का पैकेट नहीं होना चाहिए. किसान, प्रवासी मजदूरों की जेब में सीधा पैसा जाना चाहिए.
●राहुल गांधी ने कहा, ‘सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है. बच्चा जब रोता है तो मां उसे लोन नहीं देती, उसे चुप कराने का उपाय निकालती है, उसे ट्रीट देती है. सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा.’
●राहुल गांधी ने सरकार के फैसले को लेकर कहा, ‘बताया जा रहा है कि राजकोषीय घाटा बढ़ने की वजह से एजेंसियों की नजर में भारत की रेटिंग कम हो जाएगी. मेरा मानना है कि फिलहाल भारत के बारे में सोचिए, रेटिंग के बारे में नहीं. भारत के सभी लोग अगर ठीक रहेंगे तो एक बार फिर से मिलकर काम करेंगे और रेटिंग अपने आप ठीक हो जाएगी.’
●कांग्रेस नेता ने कहा कि इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत डिमांड-सप्लाई को शुरू करने की है. उन्होंने कहा कि आपको गाड़ी चलाने के लिए तेल की जरूरत होती है. जबतक आप कार्बोरेटर में तेल नहीं डालेंगे, गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी. मुझे डर है कि जब इंजन शुरू होगा तो कहीं तेल नहीं होने की वजह से गाड़ी ही नहीं चले.
●उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को हमें धीरे-धीरे समझदारी से उठाना होगा. क्योंकि यह हमारी सभी समस्याओं का समाधान नहीं है. हमें बुजुर्गों, बच्चों सभी का ख्याल रखते हुए धीरे-धीरे लॉकडाउन उठाने के बारे में सोचना होगा. जिससे किसी को कोई खतरा ना हो.