Chhattisgarh | कोण्डागांव क्षेत्र में जैविक पद्धति से हो रही सुगंधित धान की खेती
1 min readChhattisgarh | Fragrant paddy cultivation being done by organic method in Kondagaon area
रायपुर. छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव इलाके में बड़े पैमाने पर किसान जैविक पद्धति से धान की खेती के साथ-साथ फल एवं सब्जी का भी उत्पादन करने लगे हैं। जैविक तरीके से उत्पादन धान का बेहतर मूल्य मिलने की वजह से साल दर साल इसकी खेती का रकबा बढ़ते जा रहा है। जैविक धान को बेचने के लिए किसानों को मंडी और बाजार में जाने की जरूरत भी नहीं होती है। बाहर की आर्गेनिक कंपनियों के प्रतिनिधि किसानों से सीधे जैविक धान को नगद में खरीद लते हैं। कोण्डागांव में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने और किसानों को इसके लिए आवश्यक मार्गदर्शन एवं मदद देने में दण्डाकारण्य एग्रो प्रोड्यूस कंपनी अहम रोल अदा कर रही है। यह कंपनी स्थानीय प्रगतिशील किसानों द्वारा संचालित है, जिसका उद्देश्य खेती को लाभकारी बनाने के साथ ही किसानों को शोषण से बचाना है।
दण्डाकारण्य एग्रो प्रोड्यूस कंपनी से जुड़ी प्रगतिशील महिला उद्यमी कृषक वेदेश्वरी शर्मा का कहना है कि कृषि को लाभकारी बनाने के लिए किसानों को दिए जा रहे प्रशिक्षण एवं मदद के चलते दिनो-दिन कंपनी से जुड़ने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोण्डागांव अंचल के लगभग 800 किसान इससे जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि किसान सिर्फ जैविक धान की खेती ही नहीं, बल्कि साग-सब्जी का उत्पादन भी करने लगे हैं। कृषि भूमि से अधिकतम लाभ कैसे अर्जित किया जाए, इसको लेकर भी किसानों को उनकी संस्था लगातार प्रेरित एवं प्रोत्साहित करती है। इसके चलते कोण्डागांव अंचल में फल, सब्जी एवं दलहन फसलों की खेती की ओर भी किसानों का रूझान बढ़ा है। कोण्डागांव ब्लॉक के करगी, कोकोड़ी, फरसगांव बेड़ा सहित दर्जनों गांवों के किसान सुगन्धित धान की खेती कर रहे हैं। किसान अब खेतों की मेड़ों पर भी फलदार पौधे, जिमीकंद, तिखूर, अरबी, दलहन आदि की खेती कर मुनाफा कमाने लगे हैं।
दण्डाकारण्य एग्रो प्रोड्यूस कंपनी की सदस्य एवं कामधेनु गौसेवा संस्था बड़ेकनेरा की संचालिका वेदेश्वरी शर्मा को जैविक खेती और गौसेवा के माध्यम से हजारों महिलाओं को न सिर्फ जोड़ा है, बल्कि उनके स्वावलंबन की सूत्रधार रही है। गौसेवा और जैविक खेती के प्रोत्साहन के उनके प्रयासों को गौसेवा आयोग से लेकर कई संस्थाओं ने न सिर्फ सराहा है बल्कि उन्हें सम्मानित भी किया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में संचालित छत्तीसगढ़ सरकार की गौठान निर्माण और गोधन न्याय योजना की तारीफ करते हुए वह कहती है कि इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना ने गौ-सेवा और जैविक खेती को लेकर उनके उत्साह को दोगुना कर दिया है।
कोण्डागांव से 20 किलोमीटर दूर बड़ेकनेरा गांव में संचालित कामधेनु गौसेवा संस्था में सैकड़ों की संख्या में लावारिश एवं अशक्त गौवंशीय पशुओं की देख-भाल, उपचार एवं चारे-पानी का बेहतर प्रबंध है। इस गौशाला में पलने वाले गाय और बछड़ों को जरूरतमंद ग्रामीणों और किसानों को दान में दिए जाने का भी चलन है, ताकि इससे उन्हें आय के साथ-साथ जैविक खेती में मदद मिल सके। गौशाला में गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार करने के साथ-साथ कंडा, दीया, गमला भी बनाएं जाते हैं, ताकि यहां कार्यरत गौसेवकों एवं त्रिवेणी स्व-सहायता समूह की महिलाओं को अतिरिक्त आय हो सके। गौसेवा एवं कामधेनु गौ संस्था के बेहतर संचालन के लिए वेदेश्वरी शर्मा को भूईंया का भगवान अवार्ड और लाईफ टाईम एचीवमेंट अवार्ड सहित अन्य कई सम्मान मिल चुके हैं।