Narva Development Program | वनांचलों में बढ़ रहा सिंचाई का रकबा
1 min readNarva Development Program | Irrigation area increasing in forests
रायपुर। छत्तीसगढ़ के वनांचलों के नालों में कैम्पा मद से किए जा रहे भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्यों से नालों को पुनर्जीवित करने में अच्छी सफलता मिली है। अब नालों में वर्षभर पानी रहने से यहां के रहवासियों को सिंचाई की सुविधा मिलने लगी है। जिससे यहां खेती-किसानी और मछलीपालन जैसी गतिविधियों में वृद्धि हो रही है। स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। सिंचाई सुविधा वाले वनांचलों के किसान भी अब खरीफ और रबी फसलों के साथ-साथ सब्जियों का उत्पादन करने लगे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर वन क्षेत्रों में प्रारंभ किए गए नरवा विकास कार्यक्रम के तहत् अब तक प्रदेश के वनांचल के 6395 नालों को उपचारित किया जा चुका है। जिससे आस-पास के इलाके के भू-जल स्तर में 15 से 20 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि नालों में पानी की उपलब्धता बढ़ने से वनांचलों में सिंचाई का रकबा बढ़ रहा है, साथ ही उपचारित क्षेत्रों में जंगली-जानवरों को भी अब बारहों महीने पानी उपलब्ध हो रहा है। जिन क्षेत्रों में भू-जल स्तर बढ़ा है वहां के तालाब और स्टॉप डेम में स्थानीय निवासी अब मछली पालन कर रहे हैं। खेती और मछलीपालन से लोगों को आजीविका का अच्छा साधन मिल रहा है।
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वनांचलों के छोटे-बड़े 1393 नालों में किसान 664 सिंचाई पम्पों के माध्यम से अपने खेतों में सिंचाई कर खरीफ और रबी की फसल ले रहे हैं। नालों में उपलब्ध पानी से खरीफ सीजन में 2144 किसान 2646.9 एकड़ में सिंचाई कर धान, मक्का, मटर जैसी फसलों के साथ सब्जियों की फसल ले रहे हैं। इसी तरह रबी सीजन में 1070.3 एकड़ के रकबे में सिंचाई कर 953 किसान धान, गेहूं, मक्का, सरसों, चना, आलू, टमाटर तथा सब्जियों की खेती कर रहे हैं। किसान इन क्षेत्रों में डीजल पंप, इलेक्ट्रिक पंप, सोलर पंप के साथ नहरों के जरिए सिंचाई सुविधा का लाभ ले रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार वनांचलों में 61 स्टॉप डेम और तालाबों में 526 ग्रामीण मछली पालन कर लाभान्वित हो रहे हैं।