November 23, 2024

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Chhattisgarh | ड्रिप और स्प्रिंकलर से छोटे किसानों को मिल रही भरपूर आमदनी, अत्याधुनिक सिंचाई पद्धतियों से प्रदेश के 95,159 किसानों को मिल रहा लाभ

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Chhattisgarh | Small farmers are getting rich income from drip and sprinkler, 95,159 farmers of the state are getting benefit from state-of-the-art irrigation methods

रायपुर। इजराइल की अत्याधुनिक सूक्ष्म सिंचाई योजना का उपयोग छत्तीसगढ़ के किसान भी कर रहे हैं। राज्य में ड्रिप, एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति लगातार लोकप्रिय हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस नई पद्वति को किसानों को अपनाने के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है। इस नई तकनीक से उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत होती है। साथ ही भरपूर उत्पादन भी मिलता है।

छत्तीसगढ़़ में किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजना को अपनाने के लिए भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग की इस योजना से राज्य में 95,159 किसानों को इसका लाभ दिया जा चुका है। योजना में लघु एवं सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत तथा अन्य किसानों को 45 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। राज्य में उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत लगभग 1,14,614 हेक्टेयर में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है जो कि उद्यानिकी फसलों के कुल रकबा 8,34,311 हेक्टेयर का 13.73 प्रतिशत है।

छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा संचालित सूक्ष्म सिंचाई योजना, उद्यानिकी की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत टपक सिंचाई (ड्रिप इर्रीगेशन) एवं फव्वारा (स्प्रिंकलर) से सिंचाई की जाती है। इस सिंचाई पद्धति से एक ओर जहां एक-एक बूंद पानी का उपयोग हो रहा है वहीं कम पानी में अधिक रकबे में सिंचाई की जा सकती है। किसानों को भरपूर लाभ भी हो रहा है।

सूक्ष्म सिंचाई योजना से पौधों तक तुरन्त पानी पहुंचता है तथा रिसाव न होने के कारण खरपतवार भी कम निकलते है। इस पद्धति से फसलों के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि होती है। सबसे खास बात इसकी यह है कि यह पद्धति ऊँची-नीची भूमि पर भी कारगर साबित होती है। ड्रिप के माध्यम से फसलों को उर्वरक कीटनाशक दवा बड़ी आसानी से दी जा सकती है। इस पद्धति से सिंचाई पर होने वाले श्रम की भी बचत होती है।

यह पद्धति प्रीसिजन एग्रीकल्चर का सर्वाेच्च उदाहरण है। इसमें अधिकतम उपज के लिए सही समय पर सटीक और मात्रा में जल, उर्वरक, कीटनाशक आदि इनपुट का उपयोग किया जाता है। इससे फसलों का प्रबंधन में आसानी, श्रम की बचत होती है और उत्पादकता में वृद्धि होती है।

टपक सिंचाई पद्धति को अपनाकर समृद्ध हुए महासमुंद जिले के ग्राम अमलोर के किसान श्री लीलाधर यदु बताते हैं कि उनके पास 0.80 हेक्टेयर भूमि है। लगभग 4-5 वर्ष पूर्व बिना ड्रिप संयंत्र के सब्जी की खेती करता था, जिसमें मजदूरी एवं खाद-दवाई की लागत बहुत ज्यादा आती थी तथा पानी की खपत भी ज्यादा होती थी, पानी एवं खाद-दवाई का समुचित उपयोग नहीं हो पाता था, किन्तु वर्ष 2021-22 में ड्रिप सिंचाई की पद्धति को पहली बार सब्जी की खेती में अपनाया। इस पद्धति से सिंचाई के बाद खाद-दवाई एवं पानी के समुचित उपयोग हो सका और खर्च में काफी कमी आयी। मजदूरी लागत भी कम हुआ है, जिससे आमदनी बढ़ोत्तरी हुई। श्री यदु ने बताया कि वर्तमान में बैंगन की फसल का अच्छा उत्पादन हो रहा है, जिसे स्थानीय बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है। अच्छी आमदनी हो रही है, उन्हें बैंगन की खेती से 95,700 का लाभ प्राप्त हुआ है।

कोरबा जिले के ग्राम बेंद्रककोना किसान आंेकार पटेल का कहना है कि वर्ष 2016-17 मंे 1.50 एकड़ में ड्रिप से मल्चिंग मंे करेला, बरबट्टी, लौकी इत्यादि का उत्पादन लिया जिससे मुझे फायदा हुआ था। गत वर्ष स्वयं के व्यय से 1.50 एकड़ में पुनः ड्रिप लगाकर करेला, बरबट्टी, लौकी, तरोइ, खीरा आदि का उत्पादन लिया, जिससे उन्हें बहुत अधिक लाभ हुआ। उत्पादित फसल का विक्रय कर 6 लाख की आय की आमदनी हुई है। वर्तमान में 3 एकड़ मे सब्जी की फसल ली जा रही है। जिससे उन्हें प्रतिवर्ष 3-4 लाख रूपये शुद्ध वार्षिक आय प्राप्त हो रही है।

कोरबा जिला के ग्राम गुजरा के निवासी कृषक श्रीराम कुमार ग्राम कड में प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत् ड्रिप सिंचाई पद्धति के जरिये बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, कद्दू, एवं मूली सब्जी की खेती की एवं इससे उन्हें 2 लाख रूपये की शुद्ध आय हुई है। उल्लेखनीय है कि उद्यान विभाग के विभिन्न योजनाओं से कृषकों ने सामुदायिक फैसिंग, पैक हाउस, मल्चिंग, पल्वराईजर, स्प्रेयर एवं सब्जी मंे डी.बी.टी. के माध्यम से लाभ अर्जित किया है।

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