Chhattisgarh | चार सालों में वनोपज संग्राहकों की संख्या में 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी
1 min readChhattisgarh | More than 4 times increase in the number of forest produce collectors in four years
रायपुर। रोजगार, स्व-रोजगार, स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और उद्यमिता विकास को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किये हैं। इन चार वर्षों में ग्रामीण तबकों और सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचा है, जिसके परिणाम स्वरुप प्रदेश के बनवासी, ग्रामीण, किसान, मजदूर और कारीगर वर्ग को बड़ा लाभ हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार के जनहितैषी नीतियों का ही परिणाम है कि आज प्रदेश का हर वर्ग आर्थिक रूप से सशक्त और सम्पन्न हो रहा है। छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले वनवासी एवं आदिवासियों के हित में और वनों में उनके अधिकारों को और अधिक दृढ करने एवं वनोपज से आय में वृद्धि के सपने को साकार करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं।
राज्य में पहली बार समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी की गई। लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मिलेट मिशन भी चलाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है। सरकार ने संग्राहकों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में 9 गुना वृद्धि करते हुए 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों की खरीदी करने का निर्णय लिया यही कारण है कि इन चार सालों में संग्राहकों की संख्या में भी 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है, वर्ष 2018-19 में संग्राहकों की संख्या 1.5 लाख थी जो आज बढ़कर 6 लाख हो गई है। लघु वनोपजों की खरीदी की मात्रा में भी 78 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, वर्ष 2021-22 में कुल 42 हजार मीट्रिक टन लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, जबकि यह मात्रा वर्ष 2018-19 में 540 मीट्रिक टन थी।
छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य हैै, इस वर्ष राज्य सरकार ने 120 करोड़ रूपए का भुगतान वनोपज संग्राहकों को किया है। वर्ष 2020-21 में 153.46 करोड़ रुपए का लघु वनोपज देशभर में खर्च की गई राशि का अकेला 78 प्रतिशत है। पिछले चार वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी योजनाओं के परिणाम स्वरुप 13 लाख तेंदुपत्ता संग्राहकों एवं 06 लाख वनोपज संग्राहकों को 250 करोड़ रूपए की अतिरिक्त सालाना आय हुई है। संग्रहण के साथ-साथ 129 वनधन विकास केन्द्रों के माध्यम से वनोपजों का प्रसंस्करण कर 134 हर्बल उत्पादों का छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के नाम से विक्रय करने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर 6 सी-मार्ट और 30 संजीवनी केन्द्रों की स्थापना की गई है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में पेसा कानून को लेकर बेतहतर प्रावधान बनाए हैं ताकि वनांचलों में स्थानीय स्वशासन सशक्त हो सकें और वन में रहने वाले लोगांे को ज्यादा अधिकार मिल सकें। सरकार आदिवासियों के रोजगार, स्व-रोजगार के लिए और उनकी आय में वृद्धि हो सकें इस दिशा में अनेकों प्रयास कर रही है।
संग्राहको के हित में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 25 सौ रूपए से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा किया गया है, वहीं संग्राहको को 4 वर्ष में 2146.75 करोड़ रूपए तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक एवं 339.27 करोड़ रूपए प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है। संग्राहक परिवारों के हित में शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत् अब तक 4692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रूपए की सहायता प्रदान की गई है। वन अधिकारों के क्रियान्वयन में भी छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य है। छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है और लाख उत्पादक कृषकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करने की योजना भी लागू की है, जिसके प्रभाव स्वरूप आज लाख उत्पादक किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।