BACK FROM THE BRINK | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी विशेष पुस्तक का किया विमोचन
1 min readBACK FROM THE Brink | Chief Minister Bhupesh Baghel released a special book written on the conservation of state animal wild buffaloes
रायपुर। मुख्यमंत्र भूपेश बघेल तथा वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने आज वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी गई विशेष पुस्तक ‘बैक फ्राम दी ब्रिंक (BACK FROM THE BRINK) का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में विमोचन के अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज कुमार पिंगुआ, पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख संजय शुक्ला, पीसीसीएफ (वन्यजीव) पी. व्ही. नरसिंह राव एवं राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्यों के साथ साथ राज्य के कई वरिष्ठ वन अधिकारी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक नरसिंह राव ने जंगली भैंसों पर लिखी इस विशेष पुस्तक के बारे में जानकारी दी और पिछले 17 वर्षों से वन विभाग की ओर से तकनीकी सहयोग के लिए वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया को धन्यवाद दिया।
गौरतलब है कि भारत में विश्व स्तर पर लुप्तप्राय जंगली भैंसों (बुवालिस अरनी) की 80 प्रतिशत से अधिक संख्या पायी जाती है। छत्तीसगढ़ में कठोर भूमि (हार्ड ग्राउंड) में वन भैंसों की संख्या 50 से भी कम रह गयी है। असम की आर्द्र भूमि में वन भैसा की संख्या 4000 के करीब है। पिछले लगभग 17 वर्षाे से डब्ल्यूटीआई, छत्तीसगढ़ वन विभाग के साथ वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रहा है। इस पुस्तक में पिछले दो दशकों से चल रही परियोजना के विभिन्न पहलुओं के विवरण के साथ साथ संरक्षण के लक्ष्य का विस्तृत विवरण दिया गया है।
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संस्थापक और कार्यकारी निर्देशक विवेक मेनन के अनुसार, डब्ल्यूटीआई ने 2005 में जब राज्य में कार्य करना शुरू किया, उस समय उदंती अभ्यारण्य में एक मादा वन भैंसी के साथ सिर्फ छह वन भैंसे बचे थे। इसका मतलब यह था कि मध्य भारत की अलग-अलग आबादी के विलुप्त होने का गंभीर खतरा था। यह रिपोर्ट लुप्तप्राय वन भैंसों के साथ 15 वर्षों के संरक्षण कार्य का इतिहास है। हालांकि काम अभी खत्म नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु के संरक्षण के लिए वैश्विक ध्यान के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के उपनिदेशक एवं मध्य क्षेत्र प्रमुख डॉ. राजेंद्र मिश्रा के अनुसार परियोजना अवधि के दौरान उदंती अभ्यारण्य में अधिकतम 11 वन भैंसे थे। वन विभाग ने डब्ल्यूटीआई के तकनीकी सहयोग से वर्ष 2020 में असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से दो वन भैंसों (नर एवं मादा) कंजर्वेशन ब्रीडिंग के लिए बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य में स्थानांतरित करने में भी सफल रहा। डॉ. मिश्रा ने सहयोग के लिए ओरैकल (ORACLE) को धन्यवाद दिया।
पुस्तक में बताया गया है कि उदंती के वन भैंसे असम राज्य और यहां तक कि महाराष्ट्र के जंगली भैसों के साथ हैप्लोटाइप साझा करती हैं और इसलिए उदंती में जंगली भैंसों की आबादी को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में घटते जा रहे वन एवं घास के मैदान जंगली भैंसों को बचाने में गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। लगातार तीन वर्षों के जन जागरूकता अभियान के माध्यम से, डब्ल्यूटीआई ने लगभग 4000 छात्रों, 3000 ग्रामीणों एवं 12 सार्वजनिक सेवा विभागों तक वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रचार-प्रसार किया गया। जिसका असर समाज के सभी वर्गों तक पहुंचा है।