हिप रिप्लेसमेंट क्या है?
1 min readरायपुर। शरीर के सबसे बड़े जोड़ों में से एक, कूल्हे का जोड़ एक तरह का बाॅल और सॉकेट प्रकार का जोड़ है। ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया वात और एवस्कुलर नेक्रोसिस जैसी कई स्थितियां कूल्हे के जोड़ को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचा सकती हैं।
हिप रिप्लेसमेंट एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें प्रभावित हिप जॉइंट को रिसरफेस किया जाता है एवं नया जॉइंट लगाया जाता है।
इस सर्जरी का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में तभी किया जाता है जब अन्य उपचार विधियों जैसे कि दवाओं और फिजियोथेरेपी ने वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होता हैं एवं प्रभावित कूल्हे का जोड़ आपकी दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है।
हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता के संकेत क्या हैं?
कूल्हे के निम्नलिखित लक्षणों को नजरअंदाज नही करना चाहिए।
• दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के दौरान दर्द : यदि कूल्हे का दर्द आपकी सामान्य दिनचर्या को परेशान कर रहा है, तो आपको अपने आप को किसी विशेषज्ञ से परामर्श कर निदान करवाना चाहिए। चलने, खड़े होने या यहां तक कि बैठे-बैठे भी अक्सर लोगों को दर्द महसूस होता है। तो संभावना है कि आपको हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता है।
• कूल्हे में अकड़न: यदि लंबे समय तक बैठे रहने से आपके कूल्हे की गति सख्त हो जाती है और लचीलापन कम हो जाता है, तो आपको किसी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
• कूल्हे में होने वाले परिवर्तन जो दिखाई देते हैं: यदि आपके कूल्हे में सूजन है या ध्यान देने योग्य इन्फ्लेमेशन है जो आपकी नींद को प्रभावित करती है, तो इस बात की अधिक संभावना है कि आपको रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
• जब आप नियमित कार्यों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं, जैसे कि स्नान करना, खरीदारी करना या चलना।
• जब गतिशीलता की कमी और तेज दर्द आपके मस्तिष्क में अवसाद की भावना को ट्रिगर करता है।
क्या हिप रिप्लेसमेंट एक बड़ा ऑपरेशन है?
हिप रिप्लेसमेंट एक महत्वपूर्ण सर्जरी है। यह आमतौर पर डॉक्टरों द्वारा सलाह दी जाती है जब फिजियोथेरेपी या स्टेरॉयड इंजेक्शन सहित अन्य उपचार दर्द को दूर करने या गतिशीलता में सुधार करने में विफल होते हैं।
मिनिमम कट तकनीक द्वारा टोटल हिप रिप्लेसमेंट
01. छोटे चीरे में सर्जरी
जहां पहले जोड़ प्रत्यारोपण में बड़ा चीरा लगता था एवं खून का स्त्राव ज्यादा होता था इस तकनीक की वजह से छोटे चीरे में सर्जरी होती है, चमड़ी पर कोई टांका नहीं लिया जाता एवं रक्त का स्त्राव भी कम होता है, जिसकी वजह से मरीज को खून नहीं चढ़ाया जाता।
02. ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद चलाना
पूर्व में जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने को कहा जाता था। लेकिन अब इस तकनीक से सर्जरी के समय से लेकर रिकवरी का समय भी कम हो गया है। मरीज को ऑपरेशन वाले दिन ही कुछ घंटों में चलाया जाता है और ऑपरेशन के दूसरे दिन सीढ़ी चढ़ाई जाती है।
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03. कम समय में ऑपरेशन
जहां पूर्व में एक जोड़ प्रत्यारोपण में 3-4 घंटा लगता था। लेकिन अब इस तकनीक की वजह से ऑपरेशन एक घंटे में ही हो जाता है जिससे सर्जरी का रिस्क जैसे हार्टअटैक, इंफेक्शन, डीवीटी का खतरा भी कम हो जाता है।
04. कम दवाओं का उपयोग
इस तकनीक से ना सिर्फ रिकवरी में तेजी होती है दर्द निवारक की दवाओं का भी कम उपयोग होता है।
05. कम दिन हॉस्पिटल में रहना एवं मानसिक तनाव कम होना
फास्ट रिकवरी के परिणामस्वरूप मरीज को हॉस्पिटल में सिर्फ 3 दिन ही रूकना पड़ता जिससे इसका मानसिक तनाव कम रहता है और वह घर जाकर जल्दी ही सामान्य कार्य करने लगता है।
डॉ. अंकुर सिंघल ने बताया की मरीजों में उनके द्वारा इजात की हुई इस तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण के बाद रिकवरी फ़ास्ट होती है,
इस तकनीक से मरीज न सिर्फ केवल कुछ घंटों बाद चल सकता है बल्कि अपनी सामान्य जीवन में तेज़ी से वापस लौट सकता सकता है।