November 22, 2024

The News Wave

सच से सरोकार

Electricity Expensive In CG | आम आदमी को तगड़ा, छत्तीसगढ़ में महंगी हुई बिजली

1 min read
Spread the love

Strengthened for common man, electricity became expensive in Chhattisgarh

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिजली 30 पैसा प्रति यूनिट तक महंगी हो गई है। यह दर VCA (वेरिेएबल कास्ट एडजस्टमेंट) चार्ज में बढ़ा है। इसके तहत बिजली कंपनी कोयले की कीमत में कमी अथवा वृद्धि होने की स्थिति में अपनी दरों को विनियमित करती है। बताया जा रहा है, ऐसा आयातीत कोयले से बनी बिजली खरीदने की वजह से हुआ है। राज्य सरकार की कंपनी NTPC से जो बिजली खरीद रही है, उसके एवज में हर महीने 120 करोड़ रुपए अधिक देने पड़ रहे हैं।ऊर्जा विभाग की ओर से बताया, ताप विद्युत केन्द्रों को पर्याप्त मात्रा में घरेलू कोयला उपलब्ध नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने अधिकतम 15% आयातित कोयला उपयोग करने की अनुमति दी है। कंपनियों से यह अपेक्षा की गई है कि कुल आवश्यकता का 9% कोयला आयात ही किया जाए। अधिकारियों ने बताया, जून 2022 से नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन-NTPC के कुछ पावर प्लान्टों में 10 से 15% तक आयातित कोयले का उपयोग किया जा रहा है। आयातित कोयले की दर घरेलू कोयले की दर के मुकाबले 4 से 6 गुना अधिक है। इस कारण आयातित कोयले से बन रही बिजली की दर भी 4 से 6 गुना अधिक होती है।

जनवरी से मार्च तक NTPC के संयंत्रों से छत्तीसगढ़ में खरीदी जा रही बिजली में केवल उर्जा प्रभार की औसत दर 1.97 रुपये प्रति यूनिट थी। जून से अगस्त के मध्य इसका औसत 2.78 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। यानी इन महीनों के बीच इसमें 40% से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। अधिकारियों ने बताया,बिजली खरीदी की दर में बढ़ जाने से NTPC को प्रति माह लगभग 120 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है। प्रदेश की जरूरत का करीब 40% बिजली NTPC से खरीदी जाती है। इसकी वजह से उपभोक्ताओं पर लगभग 30 पैसे प्रति यूनिट की दर से VCA चार्ज लगाया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के एमडी मनोज खरे ने बताया, एक-दो महीने पहले तक NTPC से खरीदी गई बिजली का बिल 400 करोड़ से 450 करोड़ रुपए महीने का आता था। इस महीने यह बिल 610 करोड़ रुपए का आया है। अगले महीने 638 करोड़ रुपया आ रहा है। इसके पीछे आयातित कोयला बड़ी वजह है। इसके अलावा भी कई कारक मिलकर NTPC की बिजली को महंगा कर रहे हैं।

क्या होता है यह VCA चार्ज –

अफसरों ने बताया कि बिजली कंपनी के कुल खर्च का 75 से 80% हिस्सा बिजली खरीदने का होता है। यह खर्चा बिजली उत्पादन में लगने वाले कोयले की कीमत में कमी अथवा वृद्धि की वजह से घटता बढ़ता रहता है। बिजली का टैरिफ वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले राज्य विद्युत विनियामक आयोग तय करता है। उसके बाद अगर कीमतों में कमी-अधिकता हुई तो बिजली कंपनी पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को इस VCA चार्ज के जरिए ही संतुलित किया जाता है। इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 62(4) में बकायदा प्रावधान किया गया है। यह VCA चार्ज प्रत्येक दो महीनों में बदल जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *