November 7, 2024

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Monkeypox In India | मंकीपॉक्स को लेकर आपके 10 सवाल, खतरें से कैसे निपटें ?, मिनटों में यहां पाइये जवाब …

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Monkeypox In India | Your 10 questions about monkeypox, how to deal with the dangers?, get answers here in minutes …

डेस्क। देश में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. देश में अब तक इसके चार मरीज मिल चुके हैं. चिंता की बात ये है कि पहले जो तीन मरीज मिले थे, वो सभी विदेश से लौटे थे. लेकिन राजधानी दिल्ली में जो चौथा मरीज मिला है, उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर के 75 देशों में 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. संक्रमण बढ़ने के बाद WHO ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी भी घोषित किया है.

WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है. इस वायरस से संक्रमित होने पर चेचक जैसे लक्षण दिखते हैं. हालांकि, इसमें गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है.

1. क्या है मंकीपॉक्स?

– अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी. तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था. इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है. इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे.

– सीडीसी के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है. ये वायरस उसी वैरियोला वायरस फैमिली (Variola Virus) का हिस्सा है, जिससे चेचक होता है. मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं. बेहद कम मामलों में मंकीपॉक्स घातक साबित होता है.

2. इंसानों में पहला मामला कब आया?

– विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था. तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था. 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे.

– दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है. 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी.

3. भारत में मिले दो मरीज कौन हैं?

– 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. वायरस से संक्रमित 35 साल का व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था. ये व्यक्ति केरल के कोल्लम जिले का रहने वाला है. फिलहाल तिरुवनंतपुरम के सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.

– दूसरा मामला 18 जुलाई को केरल के कन्नूर जिले में मिला. 31 साल का ये मरीज 13 जुलाई को दुबई से कन्नूर आया था. यहां के पेरियाम मेडिकल कॉलेज में उसका इलाज हो रहा है.

– 22 जुलाई को तीसरा मामला भी केरल में ही सामना आया. संक्रमित व्यक्ति की उम्र 35 साल है, जो 6 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था. 13 जुलाई को उसे बुखार आया था. वो मलप्पुरम जिले का रहने वाला है.

– 24 जुलाई को दिल्ली में 34 साल के व्यक्ति में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई. उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. लक्षण दिखने के बाद उसे लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था. टेस्ट में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. LNJP में ही उसका इलाज चल रहा है.

4. क्या हैं इसके लक्षण?

– मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है. कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है. इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे.

– संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है.

– बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं.

– शरीर पर उठने वाले इन दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है. अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है तो ये दाने तब तक ठीक नहीं होते, जब तक त्वचा ढीली न हो जाए.

5. मंकीपॉक्स फैलता कैसे है?

– जानवरों सेः किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं. अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

– संक्रमित व्यक्ति सेः संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है. इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है.

– सेक्स करने सेः यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है. समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है. WHO के मुताबिक, हाल ही में जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उनमें से कइयों में संक्रमण यौन संबंध बनाने से फैला है.

6. क्या फिर बंदरों और पालतू जानवरों से दूर रहें?

– ये सही है कि मंकीपॉक्स का वायरस बंदरों से इंसानों में आया. लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि जब ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन शुरू हो जाता है, तो उसमें जानवरों का रोल बहुत कम हो जाता है. इसलिए अगर घर के आसपास बंदर दिख रहे हैं या घूम रहे हैं तो उससे मंकीपॉक्स फैलने का खतरा नहीं है.

– एक्सपर्ट का कहना है कि किसी वायरस का ह्यूमन टू ह्यूमन और एनिमल टू ह्यूमन ट्रांसमिशन कॉमन है, लेकिन ह्यूमन टू एनिमल ट्रांसमिशन काफी रेयर है. फिर भी घर में कोई संक्रमित है तो उससे पालतू जानवरों का दूर रखना ही बेहतर है, क्योंकि पालतू जानवर घर के बाकी सदस्यों के संपर्क में रहते हैं और उससे संक्रमण फैल सकता है.

7. तो क्या कोरोना जैसे फैल जाएगा ये भी?

– जिस तेजी से अब दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं, उससे लग रहा है कि क्या ये वायरस भी कोरोना की तरह फैल सकता है.

– न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कोरोना ज्यादा संक्रामक है और अगर आप किसी संक्रमित के पास खड़े हैं तो उसके छींकने या खांसने से भी संक्रमण फैल सकता है.

– मंकीपॉक्स भी संक्रामक है, लेकिन अगर सही दूरी बनाकर रखी है और मास्क पहना है तो संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है.

8. टेस्ट करवाने की जरूरत किसे?

– अगर आपने बीते 21 दिन में किसी प्रभावित देश की यात्रा की है या वहां से लौटकर आए हैं और आपको कोई लक्षण दिख रहा है.

– चूंकि मंकीपॉक्स का इन्क्यूबेशन पीरियड 21 दिन का भी हो सकता है, इसलिए 21 दिन के भीतर कोई लक्षण दिखता है तो टेस्ट करवा सकते हैं.

– केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर 31 मई को 23 पेज की गाइडलाइन जारी की थी. इसके मुताबिक, संदिग्ध या लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पताल से टेस्ट करवा सकते हैं.

– टेस्ट के बाद संदिग्ध मरीज के सैंपल जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजे जाएंगे. वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही पुष्टि होगी कि आप संक्रमित हैं या नहीं.

– अगर आप दिल्ली में हैं तो LNJP अस्पताल में टेस्ट करवा सकते हैं. यहां 20 डॉक्टरों की टीम बनाई गई है. अभी LNJP में ही संक्रमितों का इलाज होगा.

केरल में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद तमिलनाडु में स्क्रीनिंग बढ़ा दी गई है. (फाइल फोटो-PTI)

9. कितनी खतरनाक है ये बीमारी?

– विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 2 से 4 हफ्ते बाद लक्षण धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं.

– छोटे बच्चों में गंभीर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है. हालांकि, कई बार ये मरीज के स्वास्थ्य और उसकी जटिलताओं पर भी निर्भर करता है.

– जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है. ऐसे लोगों में एसिम्टोमैटिक संक्रमण भी हो सकता है.

– चेचक के खत्म होने के बाद इस बीमारी का वैक्सीनेशन भी बंद हो गया है. इसलिए 40 से 50 साल कम उम्र के लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है.

10. क्या है इसका इलाज? 

– विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अभी मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है. हालांकि, चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ 85% तक असरदार साबित हुई है.

– लेकिन अभी चेचक की वैक्सीन भी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है. 2019 में चेचक और मंकीपॉक्स को रोकने के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी, लेकिन वो भी अभी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है.

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