Chhattisgarh | स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस व डिप्थीरिया की रोकथाम के लिए जिलों को कड़े क़दम उठाने दिए निर्देश
1 min readThe health department instructed the districts to take strict steps for the prevention of dengue, malaria, Japanese encephalitis and diphtheria.
रायपुर। बरसात का मौसम शुरू होते ही मच्छरजनित रोगों जैसे डेंगू,मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस (जापानी बुखार) के मामले बढ़ जाते हैं। मौसम में हुआ बदलाव डेंगू व मलेरिया के मच्छरों के लार्वा को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण देता है। इसके चलते बारिश में डेंगू-मलेरिया के लार्वा में तेजी से बढ़ोतरी होती है। मच्छरों से बचाव के व्यापक उपाय नहीं बरतने से डेंगू और मलेरिया जैसे रोग घातक साबित हो सकते हैं।
संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में मलेरिया, डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए शासन द्वारा बस्तर संभाग के सभी जिलों को इन बीमारियों के रोकथाम के लिए कड़े क़दम उठाने के निर्देश दिए गए हैं । स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई का निरीक्षण एवं ग्रामीणों को इन बीमारियों से बचाव की जानकारी के साथ ही जिले में स्थानीय प्रशासन के माध्यम से जन-जागरूकता अभियानों में मेडिकेटेड मच्छरदानी लगाकर सोने, घर के आसपास पानी का जमाव न होने व घरों में मच्छर प्रतिरोधी स्प्रे एवं अन्य बचाव के आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुखार के सभी मामलों की सूचना राज्य स्तर पर देने एवं मरीजों को तुरंत भर्ती कर संक्रमण की जाँच करने कहा गया है। जांच के परिणाम आने तक मरीज़ को आइसोलेट कर इलाज़ उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य स्तर पर डॉ. जितेन्द्र कुमार को इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनके मोबाइल नंबर 94791-07919 पर संपर्क कर आवश्यक मार्गदर्शन लिया जा सकता है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि डेंगू संक्रमित मादा एडीस म़च्छर के काटने से स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में वायरस प्रवेश कर रोग संक्रमण उत्पन्न करता है। मादा एडीस मच्छर इस वायरस का वाहक है जो स्थिर पानी जैसे कूलर, टंकी या घर में खुले रखे बर्तन जिसमें कई दिनों से पानी बदला न गया हो, वहाँ डेंगू के मच्छर पनपते हैं। यह मच्छर दिन में ही काटता हैं। डेंगू के मरीज़ को दिन में भी मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए जिससे कि मच्छर उन्हें काट कर रोग को न फैलाए।
डेंगू ,मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस के प्रमुख लक्षण
डॉ. मिश्रा ने बताया कि डेंगू ,मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस के प्रमुख लक्षणों में अचानक कंपकंपी के साथ बुखार आना, आँखों के पीछे व मांसपेशियों में दर्द, छाती, गला और चेहरे पर लाल दाने उभरना है। इन बीमारियों में लगातार बुखार रहता है। इनमें पेट में दर्द, उल्टी, सरदर्द, बेचैनी या सुस्ती के भी लक्षण होते हैं। ये सारे लक्षण डेंगू के मच्छर के काटने के एक सप्ताह के बाद दिखाई देते हैं। इस स्थिति में बीमारी का समय पर अच्छा इलाज होना जरुरी है। त्वरित इलाज से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
डेंगू होने पर कभी-कभी नाक व मसूड़ों से खून निकलता है। उल्टी में भी खून नजर आता है। खून के कारण मल काला दिखाई देता है। डेंगू के प्रभाव के कारण खून में सफेद रक्तकोशिका और प्लेटलेट्स की मात्रा कम होती जाती है। बुखार और रक्तस्त्राव में कुछ मामलों में स्थिति और बिगड़कर रक्तचाप गिरने लगता है। ऐसी स्थिति निर्मित होने पर मरीज को बिना देरी के तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। समय पर इलाज न होने से मरीज की स्थिति और खराब हो सकती है। कई परिस्थितियों में डेंगू से जान जाने का खतरा भी रहता है।
डेंगू-मलेरिया से बचाव के उपाय
बारिश में जलभराव के साथ ही पानी जमा होने से डेंगू-मलेरिया के लार्वा पनपने लगते है। डेंगू-मलेरिया से बचाव के लिए आवश्यक है कि अपने आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें । डेंगू-मलेरिया वेक्टरजनित रोग है जिसमें लक्षित जनसंख्या समूह में व्यापक व्यवहार परिवर्तन गतिविधियों के माध्यम से जागरुकता विकसित कर डेंगू-मलेरिया के प्रकोप से बचा जा सकता है। घर में रखे पुराने बर्तन, टायर, गमलों और आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। साथ ही मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए नालियों में जले हुए तेल का छिड़काव करें। पूरी बांह के कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी लगाएं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा मच्छरदानी वितरण व उसके उपयोग हेतु प्रेरित करने का काम भी किया जा रहा है। डेंगू ,मलेरिया व जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) के लक्षण होने पर अपने निकटतम शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर चिकित्सक से परामर्श लें।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण से होता है जो नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता है। डिप्थीरिया आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, लेकिन दवाएं लेने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। डिप्थीरिया के कुछ लक्षण आमतौर पर जुकाम के लक्षणों जैसे होते हैं। डिप्थीरिया के कारण गला खराब, बुखार, ग्रंथियों में सूजन और कमजोरी आदि समस्याएं होती हैं। गहरे ग्रे रंग के पदार्थ की एक मोटी परत गले के अंदर जमना इसकी पहचान का मुख्य लक्षण होता है। यह परत सांस लेने वाली नलिकाओं को अवरुद्ध कर सकती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। डिप्थीरिया का इलाज करने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। बीमारी के अधिक बढ़ने से डिप्थीरिया हृदय, किडनी और तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है।