RBI MPC Meet | आरबीआई गवर्नर ने किए कई बड़े ऐलान, और बढ़ जाएगा कर्ज की किस्तों का बोझ
1 min readRBI governor made many big announcements, and the burden of loan installments will increase
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की जून बैठक संपन्न हो गई. सोमवार से बुधवार तक चली बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. अब रेपो रेट बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया है. रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर कर्ज की EMI पर पड़ने वाला है. इसके कारण न सिर्फ नए लोन महंगे हो जाएंगे, बल्कि कई पुराने कर्ज खासकर होम लोन और पर्सनल लोन की किस्तें बढ़ जाएंगी.
इससे पहले रिजर्व बैंक ने बेकाबू महंगाई के चलते पिछले महीने मई में आपात बैठक की थी. पिछले महीने रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. इस तरह देखें तो करीब एक महीने में रेपो रेट 0.90 फीसदी बढ़ गया है. रिजर्व बैंक ने पिछले महीने करीब 2 साल बाद रेपो रेट में पहली बार बदलाव किया था और करीब 4 साल बाद पहली बार इसे बढ़ाया था. कई सालों के उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई के कारण रिजर्व बैंक ने सस्ते कर्ज के दौर से इकोनॉमी को बाहर निकालने का फैसला लिया है.
आज रिजर्व बैंक गवर्नर ने रेपो रेट बढ़ाने के अलावा भी कई महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी दी. आरबीआई की ताजा बैठक में लिए गए मुख्य फैसले इस प्रकार हैं…
1: महंगाई अभी भी चिंता की बात बनी हुई है. इस फाइनेंशियल ईयर (FY 23) की पहली तीन तिमाही में यानी दिसंबर तक इसमें राहत की उम्मीद नहीं है. रिजर्व बैंक ने कहा कि इस फाइनेंशियल ईयर में खुदरा महंगाई 6.7 फीसदी रहने वाली है. इसकी दर पहली तिमाही में 7.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहने की उम्मीद है. महंगाई बढ़ने में 75 फीसदी योगदान खाने-पीने की चीजों का है.
2: अप्रैल-मई में आर्थिक गतिविधियों में सुधार हुआ है. जीडीपी की ग्रोथ रेट महामारी से पहले के स्तर को पार कर चुकी है और 21-22 के लिए 8.7 फीसदी रहने के अनुमान हैं. अप्रैल-मई के दौरान विनिर्माण गतिविधियां सुधरी हैं. इसके अलावा सीमेंट से लेकर स्टील की खपत में तेजी आई है. रेलवे की माल ढुलाई भी बढ़ी है.
3: इस फाइनेंशियल ईयर में रुपया तेजी से कमजोर हुआ है. अप्रैल और मई में ही रुपया डॉलर के मुकाबले 2.5 फीसदी गिर चुका है. निर्यात के मोर्चे पर सुधार आया है. क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के बाद भी आयात का बिल कुछ कम हुआ है. विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी 600 बिलियन डॉलर से ऊपर बना हुआ है.
4: बैंकिंग सिस्टम मजबूत बना हुआ है. बैंकों का क्रेडिट ऑफटेक बेहतर हुआ है. कुल मिलाकर स्थिति चुनौतीपूर्ण है. रिजर्व बैंक चुनौतियों का सामना करने के लिए कमिटेड है.
5: को-ऑपरेटिव बैंकों के मामले में कई बदलाव किए गए हैं. अब अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लोगों को ज्यादा लोन दे सकेंगे. ऐसे बैंकों के लिए होम लोन की लिमिट 100 फीसदी बढ़ा दी गई है. रूरल को-ऑपरेटिव बैंक भी अब अपनी पूंजी के पांच फीसदी के बराबर हाउसिंग लोन दे पाएंगे. इसके साथ ही इन बैंकों को डोरस्टेप बैंकिंग सर्विसेज शुरू करने की भी सुविधा दी गई है.
6: अब यूपीआई के जरिए सिर्फ सेविंग अकाउंट या करेंट अकाउंट से ही नहीं बल्कि क्रेडिट कार्ड से भी पेमेंट करना संभव होगा. रिजर्व बैंक ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए क्रेडिट कार्ड से यूपीआई पेमेंट की सुविधा देने का निर्णय लिया है. इसकी शुरुआत रूपे क्रेडिट कार्ड से की जाएगी. बाद में मास्टरकार्ड व वीजा समेत अन्य गेटवे पर बेस्ड क्रेडिट कार्ड के लिए भी यह सुविधा शुरू की जा सकती है.
7: रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही सब्सक्रिप्शन वाले पेमेंट को भी आसान बना दिया है. ई-मैंडेट को अनिवार्य किए जाने के बाद रिजर्व बैंक ने ऐसे ट्रांजेक्शन के लिए एक लिमिट तय की है. अब इस लिमिट को 3 गुना बढ़ा दिया गया है. पहले बिना ओटीपी के इस तरह के ट्रांजेक्शन के लिए 5000 रुपये की लिमिट थी. अब ई-मैंडेट से 15 हजार रुपये तक के ट्रांजेक्शन बिना ओटीपी के किए जा सकेंगे.