Jhiram Ghati | नही भरेंगे झीरम के जख्म, यह राजनीतिक अपराधिक षड्यंत्र, गुस्से में बोले सीएम भूपेश बघेल, देखिए Video
1 min readJhiram’s wounds will not heal, this political criminal conspiracy, angry CM Bhupesh Baghel, watch video
रायपुर। झीरम घाटी हमले की आज 9वीं बरसी है। इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव भवन में झीरम के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। सीएम के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ चंदन यादव सहित वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी मौजूद रहे।
झीरम की घटना एक राजनीतिक आपराधिक षड्यंत्र था। #झीरम_श्रद्धांजलि_दिवस pic.twitter.com/jI5at2Hetc
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 25, 2022
इस मौके पर CM भूपेश बघेल ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में हर किसी के साथ न्याय हो रहा है। आज हमारे नेता होते तो बहुत खुश होते, वो जहां भी होंगे आज हम सभी को आशीष दे रहे होंगे।
सीएम ने कहा –
झीरम श्रद्धांजलि दिवस ने सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट किया है, और लिखा – झीरम घाटी में बहा हमारे नेताओं, कार्यकर्ताओं और जवानों के खून का एक-एक कतरा हमारे बलिदान की परंपरा की गाथा है। उन सबकी शहादत छत्तीसगढ़ की धरती पर कर्ज़ है। हम उनके सपनों को साकार करके ही यह कर्ज़ अदा कर सकते हैं।
झीरम घाटी में बहा हमारे नेताओं, कार्यकर्ताओं और जवानों के खून का एक-एक कतरा हमारे बलिदान की परंपरा की गाथा है।
उन सबकी शहादत छत्तीसगढ़ की धरती पर कर्ज़ है।
हम उनके सपनों को साकार करके ही यह कर्ज़ अदा कर सकते हैं।
कोटि-कोटि नमन🙏🏻 #झीरम_श्रद्धांजलि_दिवस pic.twitter.com/pyRNhpICu0
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 25, 2022
ये सलामी..झीरम शहीदों को
(झीरम घाटी शहीद स्मारक) pic.twitter.com/ZqLQgliP2f
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 25, 2022
कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल ने दी श्रद्धांजलि –
रायगढ़ में कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल ने शहीद नंद कुमार, दिनेश पटेल की समाधि स्थल पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि शहीदों के परिजनों को अब तक न्याय नहीं मिला है। केंद्र जांच में अड़ंगा डाल रही। समाधि स्थल में शहीद नंद कुमार पटेल की धर्मपत्नी व परिजन भी मौजूद रहे।
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हत्या –
आज से नौ साल पहले यानी 25 मई 2013 को नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं समेत 32 लोग हत्या कर दी थी। इस हमले में कोई राजनीतिक सुपारी किलिंग थी या आतंक मचाने के लिए। ये सवाल नौ साल बाद भी NIA और एक न्यायिक आयोग की जांच पूरी होने के बाद भी सिर्फ सवाल ही है। नक्सलियों की गोलियों से घायल होने वालों, लाशों के बीच सांस रोककर पड़े रहने वाले और मौत के साये में उस रोज करीब 3 घंटे तक बंधक रहने वालों के जेहन में आज भी जीरम का वो दिन जख्म है।