November 24, 2024

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Chhattisgarh | किसी भी क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले को नही मिला पद्म पुरस्कार, राज्य बनने के बाद तीसरी बार हुआ है ऐसा

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The person who made a special contribution in any field did not get the Padma award, this has happened for the third time after the formation of the state.

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद ऐसा तीसरी बार हुआ है कि राज्य के किसी भी क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्ति को पद्म पुरस्कार नहीं मिला। छत्तीसगढ़ से वर्ष 2001, 2006 और 2022 में राज्य से भेजे गए नामों को पद्म पुरस्कारों के योग्य नहीं पाया गया। जबकि प्रदेश से दर्जनभर विभुतियों के नाम पद्म पुरस्कारों के लिए प्रस्तावित किए गए थे। भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री के लिए सभी राज्यों से ऑनलाइन और अन्य माध्यम से आवेदन मंगाए जाते हैं।

उन व्यक्तियों को जो किसी विशेष क्षेत्र में विशेष योगदान रखते हैं, उन्हें अपने किए गए कार्याें का विवरण देते हुए आवेदन करना होता है। इन पुरस्कारों के माध्यम से उत्कृष्ठ कार्य को मान्यता प्रदान की जाती है। इनमें आने वाले क्षेत्रों में साहित्य और शिक्षा, चिकित्सा, खेल सामाजिक कार्य, विज्ञान और इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामलों, नागरिक सेवा, व्यापार और उद्योग आदि में विशेष और असाधारण उपलब्ब्धियों के लिए यह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाता है। पुरस्कार के लिए सभी राज्यों की सरकारों के साथ-साथ अनेक अन्य स्रोतों से नामांकन आमंत्रित किए जाते हैं। ताकि इन पर व्यापक विचार विमर्श कर निर्णय लिया जा सके। इन पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन आवेदन नामांकन के लिए जाते हैं।

इन वर्षाें में मिले इतने पुरस्कार –

छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद राज्य के विशेष योग्यता रखने वाले विभिन्न व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार मिले। इनमें वर्ष 2001 से 2021 तक एक-एक व्यक्ति को पुरस्कार दिया गया जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है। वहीं राज्य से वर्ष 2005, 2012 और 2018 में दो-दो व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

छत्तीसगढ़ के चार लोगों को अन्य राज्यों से पुरस्कार –

छत्तीसगढ़ के ऐसे व्यक्तियों जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष योगदान दिया उन्हें राज्य के बजाय दूसरे राज्यों की अनुसंशा से भी पद्म पुरस्कार दिया गया। इनमें वर्ष 2001 में हबीब तनवीर को मध्यप्रदेश राज्य के कोटे से मिला। 2011 में सत्यदेव दुबे और 2015 में शेखर सेन को महाराष्ट्र के कोटे से पद्म पुरस्कार मिला। वहीं 2019 में बुद्धादित्य को पश्चिम बंगाल कोटे से पद्म पुरस्कार मिला।

 

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