Chhattisgarh | मांगे पूरी नहीं होने तक काम पर नहीं लौटेंगे जूनियर डॉक्टर्स, ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर में नही हो रही ड्यूटी
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रायपुर। मेडिकल पीजी प्रवेश की काउंसलिंग और एडमिशन की लेटलतीफी से नाराज मेकाहारा के तीन सौ डॉ. रविवार को अवकाश के दिन भी धरने पर बैठे रहे। वे सोमवार को भी ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर में ड्युटी नहीं कर रहें है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो बुधवार से सारी इमरजेंसी सेवा भी बाधित कर दी जाएगी। इस समस्या को लेकर पूरे देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर आंदोलनरत हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर एसोसिएशन ने भी शनिवार ओपीडी और ओटी सेवा नहीं दी। तीन सौ डॉक्टरों के नहीं होने की वजह से आंबेडकर अस्पताल की उपचार व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गई। मरीजों को उपचार के बजाए निराश होकर वापस लौटना पड़ा था।
रविवार अवकाश के दिन भी जूनियर डॉक्टर मेडिकल कालेज परिसर में धरना-प्रदर्शन करते रहे। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. प्रेम चौधरी ने बताया कि सोमवार को भी उनका विरोध जारी हैं। बुधवार तक मांगें पूरी नहीं होने पर वे इमरजेंसी सेवा से अपना हाथ खींच लेंगे। जूनियर डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज नहीं किए जाने की वजह से मरीजों को मंगलवार को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा सीनियर डॉक्टरों की ड्युटी ओपीडी में लगाई गई है। मगर बड़ी संख्या में मरीजों को निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है।
80 हजार डाक्टरों की कमी –
डेढ़ साल सत्र पिछड़ने की वजह से देश में करीबन 80 हजार स्नातकोत्तर चिकित्सा विद्यार्थियों की कमी हो गई है। काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं होने की वजह से देशभर के मेडिकल कालेजों के अस्पतालों में सीनियर विद्यार्थियों पर काम का बोझ बढ़ गया है, जिसकी वजह से वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
आईएमए दे रहा समर्थन –
रेसीडेंट डॉक्टरों को इस हड़ताल को देश के सबसे बड़े चिकित्सकीय संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी समर्थन दिया है। डॉक्टर अपनी समस्या को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से भी मिल चुके हैं। रेसीडेंट डाक्टर के राष्ट्रीय संगठन फ्रोडा ने प्रवेश प्रक्रिया शुरु नहीं होने तक आंदोलन का आह्वान किया था जिसे देशभर में समर्थन मिल रहा है।
इस तरह की परेशानी –
मेडिकल कालेज की स्नातकोत्तर सीटों पर प्रवेश के लिए नीट पीजी की परीक्षा 10 जनवरी को होना था, जिसकी तारीख पहले 18 अप्रैल फिर 11 सितंबर तय की गई। परिणाम 10 अक्टूबर को घोषित किया गया। इसके बाद अब तक काउंसलिंग का शेड्यूल जारी नहीं किया गया है, जिसकी वजह से करीबन सौ विद्यार्थियों का भविष्य अधर में है। इस लेटलतीफी की वजह से पिछले डेढ़ साल से मेकाहारा के 2020 बैच के 300 विद्यार्थी अपने काम के साथ जूनियर डॉक्टरों का भी काम कर रहे हैं।