Chhattisgarh | प्रदेश में खुलेगा पहला फूड पार्क, पायलट प्रोजेक्ट को सफल बनाने आईएफएस अफसर की मेहनत, जानें खास बात
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गरियाबंद। छतीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ का वनोपज पर आधारित पहला फूड पार्क देवभोग में बनाया जा रहा है। सरकार इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू कर रही है। कहा जा रहा है पाटन के एक सभा को सम्बोधित करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने जिला स्तर पर स्थापित किये जाने वाले जिस फ़ूड इंस्ट्रीज का ऐलान किया हुआ है। देवभोग में बनाये जा रहे फूड पार्क ही जिला स्तरीय इंस्ट्रीज का भविष्य तय करेगा।
महिला समूह सशक्तिकरण पर आधारित इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन का जिम्मा छतीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ को दिया गया है। यही वजह है कि फूड पार्क के इस पायलट प्रोजेक्ट को सफल बनाने आईएफएस अफसर दिन रात मेहनत करते नजर आ रहे हैं। रविवार व सोमवार को लघुवनोपज संघ रायपुर के अपर प्रबंध निदेशक बी आंनद बाबू व डीएफओ मयंक अग्रवाल महिला समूहो से सीधे सवांद करने पहुंचे है।
रविवार की देर रात दुरस्त वन ग्राम घुमरापदर व खरीपथरा में 10 से भी ज्यादा महिला समूह से बात किया। सोमवार को देवभोग कार्यालय परिसर में घोघर, गिरसूल, देवभोग के 15 समूह के अलावा एन आरएलएम के फिल्ड अफसरों से घण्टो चर्चा किया।
इस दरम्यान समूहों को इस योजना में किस तरह भागीदारी निभाना है ये तो अफसरों ने बताया ही साथ ही लोन की उपलब्धता व फॉयदे के गणित को भी समझाया। समूह के महिलाओ द्वारा पूछे गए हर सवालों के जवाब भी अफसर देते रहे। इस दरम्यान विभाग के एसडीओ अतुल श्रीवास्तव, एसडीओ आर के सोरी, रेंजर नागराज मंडावी के अलावा 12 लघुवनोपज समिति के प्रबंधक व पोषक अधिकारी भी मौजूद रहे।
आर्थिक भागीदारी के अलावा तय होगी समूहों की जिम्मेदारी –
कैसे सन्चालित होगा फूड पार्क इस सवाल के जवाब पर बी आंनद बाबू ने बताया कि उत्पादन क्षेत्र में रहने वाले महिला स्व सहायता समूह वनोपज की खरीदी कर केंद्र में भेजेंगे इन्हें खरीदी के लिये लोन उपलब्ध कराया जाएगा। लोन के अलावा खुद का अंश राशि भी लगाना होगा। प्रसंकरण केंद्र में काम करने वाले समूह के जवाबदेही में यूनिट का जिम्मा होगा। इसी समूह को यूनिट का लोन लेना होगा। लोन के अलावा इन्हें खुद की जमा राशि भी डालनी होगी। उद्योग चलाने में संग्राहक सदस्य, वन समूह की भी आर्थिक भागीदारी होगी। शेयर मार्केट की तरह जिन जिन की भागीदारी होगी उनको लाभ की राशि लागत के अनुपात में मिलेगा। आज सीधी बात के दरम्यान कई समूहो ने अपनी भागीदारी की सहमति देकर नाम भी सूचीबद्ध करा लिया है।
6 माह के भीतर स्तगपित होगी यूनिट –
बी आंनद बाबू ने बताया कि देवभोग में लाख,चिरौंजी,व निम बीज प्रसंस्करण के तीन यूनिट के अलावा कृषि उत्पाद दलहन तिलहन का भी प्रसंस्करण करने यूनिट की स्थापना होगी। देवभोग के फोकटपारा में 4 एकड़ जमीन आरक्षित कर, इंफ्रास्ट्रक्चर का काम शुरू कर दिया गया है। 6 माह के भीतर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। काम शुरू होने से पहले,विभिन्न चरणों पर सर्वे कर उत्पादों की जानकारी से लेकर अब तक बाजार के सारे गणित भूगोल तैयार किये जा रहे ताकि योजना की सफलता कोई बाधा न आये। लाख उत्पादन को बढाने दी गई है ट्रेनिंग, ताकि कम न पड़े वनोपज- देवभोग परिक्षेत्र में उत्पादित होने वाली कुसमी लाख ने देश ही नही विदेश में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। नेशनल मार्केट में इसे गोल्डन लाख के नाम से जाना जाता है। फिलहाल इसका उत्पादन 3 से 5 हजार पेड़ो में है। पिछले सीजन में 2 हजार क्वीन्टल 400 रुपये किलो के दर पर लगभग 8 करोड़ का उत्पादन हुआ था। प्रसंकरन के बाद इस लाख की चौरी 1200 से 1500 रुपये किलो में बिकता है। राष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग व ख्याति को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने,10 दिन पहले ही तीनदिवसीय वृहद शिविर का आयोजन विभाग ने कराया था। 3 हजार पेड़ो के बजाए आने वाले सीजन में 10 हजार से भी ज्यादा पेड़ो में इसका उत्पादन कराने की तैयारी विभाग ने किया है, ताकि प्रसांकरण केंद्र चालू होने के बाद लाख की कमी न हो।डीएफओ मयंक अग्रवाल ने बताया की लाख उत्पादन के लिए जल्द ही कीसानों को केसीसी के अलावा लघुवनोपज संघ के माध्यम से लोन दिलाया जा रहा।