मशरूम उत्पादन से महिलाओं को हो रही है अतिरिक्त आय : महिला समूह द्वारा उत्पादित मशरूम दूर करेगी कुपोषण
1 min readमशरूम उत्पादन से महिलाओं को हो रही है अतिरिक्त आय : महिला समूह द्वारा उत्पादित मशरूम दूर करेगी कुपोषण
@thenewswave.com सुकमा, 04 मार्च 2020 स्वादिष्ट मशरूम के उत्पादन से कांजीपानी और चिपुरपाल की महिला स्व-सहायता समूहों को न केवल आर्थिक लाभ हो रहा है बल्कि इसके साथ ही उपभोक्ताओं को प्रोटीन, विटामिन से भरपूर पोषण आहार भी मिल रहा है।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आय को बढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कलेक्टर चन्दन कुमार के मार्गदर्शन में कृषि विभाग द्वारा एग्रीकल्चर एक्सटेंशन रिफार्म (आत्मा) योजना के अन्तर्गत महिला समूह को प्रशिक्षण देकर मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। प्रशिक्षण में महिला समूह को मशरूम उत्पादन का लाभ बताकर इससे आत्मनिर्भर बनने एवं कम खर्चें में अधिक आमदनी के विषय में विस्तार पूर्व जानकारी दी गई।
ज्ञात हो कि मशरूम में सभी प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आवश्यक लवण एवं विभिन्न विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसे खाने से शरीर को आवश्यक सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती हैं। मशरूम कुपोषण को दूर करने की चमत्कारी गुण रखता हैं साथ ही मशरूम में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इन लाभों को देखते हुए शासन द्वारा मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिले की महिला समूहों द्वारा आर्थिक तौर पर सशक्त होने के लिए मशरूम की खेती को चुना जा रहा है।
कृषि विभाग द्वारा संचालित आत्मा योजना के अन्तर्गत सुकमा जिले के छिन्दगढ़ विकासखण्ड के कांजीपानी गांव के कमलफूल कृषक समूह एवं चिपुरपाल गांव के ऋतम्भरा महिला कृषक समूह के द्वारा मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। 10 सदस्यों वाली कमलफूल समूह की अध्यक्ष सुशीला बघेल व सचिव फुलमती मांझी है। जबकि 11 सदस्यों वाली ऋतम्भरा महिला कृषक समूह कीे अध्यक्ष सुक्को बघेल व सचिव प्रमिला नाग है। समूह के सदस्यों ने मशरूम उत्पादन में रूचि दिखाई। समूह के सदस्यों ने विभाग से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर प्रशिक्षण लिया। जिला प्रशासन द्वारा इन समूहों को पैरा काटने के लिए कटर मशीन उपलब्ध कराया तथा कृषि महाविद्यालय जगदलपुर व रायपुर से मशरूम उत्पादन के ढांचे से भली-भांति परिचित होने के बाद इन समहों के द्वारा मशरूम उत्पादन प्रारम्भ किया गया।
वर्तमान में इन समूहों के द्वारा 2 से 3 किलो मशरूम का उत्पादन प्रतिदिन किया जा रहा है और इन्हें बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा रही है। ग्रामीण महिलाएं मशरूम उत्पादन के स्वरोजगार से जुड़कर खुश हैं। महिला समूह द्वारा बताया गया कि मशरूम का सामान्यतः सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं, किन्तु इससे विभिन्न प्रकार के व्यंजन भी तैयार किया जा सकता है जो कि बहुत की पौष्टिक एवं कुपोषण दूर करने में सहायक है। मशरूम का उपयोग सब्जी के साथ-साथ बड़ी, पापड़, आचार और मशरूम पाउडर आदि पोषण पदार्थ बनाने में किया जा सकता है।