Cg News | बच्ची की मौत के बाद टोकरी में अस्पताल पहुंची मां, बहुमूल्य आदिवासियों का गांव विकास से अछूता, प्रशासन को नहीं चिंता
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कबीरधाम। केंद्र सरकार हो या फिर हमारी राज्य सरकार केवल बातें बनाना ही जानते हैं। प्रशासन तो हर वक्त विकास का दावा करती है लेकिन कबीरधाम जिले में एक ऐसा ही गांव है जहां पर विकास के नाम पर शून्य है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत अमनिया के आश्रित गांव डेगूरजाम की, जहां पर सड़क की व्यवस्था नहीं है। एक ही नदी को 5 बार पार करना पड़ता है। पिछले हफ्ते ही एक बच्ची ने गांव में दम तोड़ दिया। एक माह की बच्ची की मौत के बाद मां गंगोत्री (18 वर्ष) की तबीयत भी अचानक खराब हो गई। इस परिवार ने पहले ही मासूम को खो दिया था, अब घर के बहू की जान पर बन आई।
कोई साधन नहीं होने के कारण परिवार के लोग महिला की जान बचाने के लिए उसे टोकरी में बैठाकर 5 कि.मी. दूर कच्ची सड़क से डामर सड़क तक ले गए। वही, नेउर कांदा वाणी रास्ते में 108 से इलाज के लिए कुकदूर ले गए।
हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वहां पर आंगनबाड़ी नहीं है, तो गर्भवती महिलाओं का व शिशुओं का उचित भरण पोषण कैसे होगा? गर्भावस्था में महिलाओं को प्रोटीन की कमी हो जाती है और इन्हीं प्रोटीन की कमियों को पूरा करने के लिए सरकार ने आंगनबाड़ी खोला है, जिसकी मदद से इन महिलाओं तक पोषण से भरा खाना पहुंचाया जाता है। यह सब सुविधा यहां तो है नहीं, इसलिए महिलाएं मौत के मुंह से बाहर निकलती हैं या कुछ का बच्चा मर जाता है।
यदि हम आवागमन की बात करें तो इस गांव में सड़क ग्रामीण ही बनाते हैं। हर बरसात के बाद ग्रामीणों को सड़क का निर्माण खुद ही करना पड़ता है, ताकि उनका आना-जाना हो सके। यहां पर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता एक मिसाल बन गई है, जिस वजह से यह गांव विकास से अछूता है। प्रशासन केवल दावा ही करते रह जाएगी कि गांव के आदिवासी बहुमूल्य है इनका ध्यान तो कहीं और है।
देखना होगा कि अंधे प्रशासन की आंख आखिर कब खुलती है और इस गांव तक सड़क का निर्माण होता है या नहीं, या फिर हमेशा की तरह अपनी परेशानियों का बोझ ग्रामीण स्वयं उठाते हुए चलेंगे और प्रशासन मुक बधिर रहेगी।