Salary Crisis | एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी कर्मचारियों को खाने के पड़े लाले, 3 माह से नहीं मिला वेतन
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रायपुर । एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जंगल सफारी में वन्यजीवों की देखभाल तथा साफ-सफाई करने वाले कर्मचारियों को खाने के लाले पड़ गए हैं।
दरअसल, कर्मचारियों को पिछले 3 महीने से वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों ने वेतन के लिए कई बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन उनकी सुध कोई नहीं ले रहा है। ऐसे में उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जंगल सफारी प्रबंधन का कहना है कि कोरोना के चलते थोड़ी दिक्कत हो रही है, लेकिन जल्द ही कर्मचारियों को वेतन दे दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि मानव निर्मित जंगल सफारी वर्तमान में गाइड, ड्राइवर, माली, जू कीपर और सफाई कर्मचारी मिलाकर कुल 260 कर्मचारी काम कर रहे हैं। सभी कर्मचारियों की एक माह की पगार तकरीबन 22 लाख रुपये है। कर्मचारियों का पांच माह का वेतन बकाया था, जिसमें दो माह का शासन ने दिया है, तीन माह का बकाया है। कोरोना महामारी फैलने से पूर्व पर्यटकों की आवाजाही से कर्मचारियों का भुगतान और सफारी मेंटेन का खर्च निकल आता था।
संक्रमण फैलने के बाद लॉकडाउन और पर्यटकों की संख्या कम होने से अब सफारी प्रबंधन को कर्मचारियों के वेतन के लिए हर माह वन विभाग के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है। प्रबंधन ने वन विभाग से किसी तरह दो माह का वेतन दे दिया, लेकिन तीन माह का वेतन कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है।
कोरोना के चलते गेट मनी में कमी –
जंगल सफारी प्रबंधन का कहना है कि वर्ष 2019 में गेट मनी छह करोड़ रुपये मिली थी, लेकिन कोरोना के चलते 2020 में सिर्फ 87 लाख रुपये ही मिला पाए हैं। कोरोना के चलते पर्यटक जंगल सफारी नहीं पहुंच पा रहे हैं, लेकिन जंगल सफारी का खर्च तो जस का तस बना हुआ है। इस कारण सफारी का खर्च निकलना भी मुश्किल हो गया है। जिस वजह से वेतन देने में दिक्कत आ रही है।
800 एकड़ में फैली जंगल सफारी –
800 एकड़ में फैली जंगल सफारी में 37 बाड़ों का निर्माण कार्य किया जाना है, जिसमें 20 बाड़ों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। इसमें सात बाड़े पुरानी तर्ज पर बनाए गए हैं। पैंथर, गोह और ऊदबिलाव के बाड़े को हाइटेक तरीके बनाया गया है। तीनों बाड़े में टफंड ग्लास लगाया गया है। इससे इन तीनों प्राणियों को पर्यटक आसानी से देख सकते हैं। बचे हुए 17 बाड़े को भी ठीक इसी तर्ज पर बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन जू में सीसीटीवी कैमरा नहीं होने से पर्यटक और वन्यजीवों की गतिविधियों पर सफारी प्रबंधन नजर नहीं रख पाता है।
एम.मर्सीबेला, डिप्टी डायरेक्टर जंगल सफारी –
कोरोना संक्रमण की वजह से पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त कमी आई है। पर्यटकों के नहीं आने का सीधा असर सफारी के खजाने पर पड़ रहा है। दैनिक वेतनभोगियों का भुगतान अभी पिछले दिनों किया गया है, जो भुगतान शेष है, वो भी जल्द कर दिया जाएगा।