November 23, 2024

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Chhattisgarh | कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा ऐलान, जनता के लिए खुशखबरी ..

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रायपुर | कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बड़ी घोषणा की है। केंद्र सरकार पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, अगर केंद्र सरकार सभी नागरिकों को फ्री में कोरोना वैक्सीनेशन से इन्कार करती है तो उनकी सरकार छत्तीसगढ़ के लोगों के टीकाकरण का खर्च उठाएगी। मुख्यमंत्री विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान विपक्ष के हमलों का जवाब दे रहे थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कोरोना के टीकाकरण मामले में केवल 3 करोड़ लोग ही केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं हैं। देश के पूरे 135 करोड़ लोगों को कोरोना का निःशुल्क टीका लगवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि केन्द्र सरकार ऐसा करने से इंकार करती है, तो अपने राज्य में हम अपने खर्च पर टीकाकरण करवाएंगे। मुख्यमंत्री ने को-वैक्सीन विवाद पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, को-वैक्सीन का उपयोग 11 राज्यों में केवल एक प्रतिशत लोगों के लिए ही किया गया है। छत्तीसगढ़ ने भी निर्णय लिया है कि इसका उपयोग तीसरे ट्रायल का नतीजा आ जाने के बाद ही किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, नगरनार इस्पात संयंत्र का विनिवेशीकरण नहीं होने देने का संकल्प भी इसी सदन में पारित किया गया है। हम बस्तर के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि इस संयंत्र को NMDC या CMDC जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ही संचालित करें। हम इसका एकतरफा विनिवेश नहीं होने देंगे। छत्तीसगढ़ सरकार इस स्टील प्लांट को बचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा, केन्द्र से हमें 14 हजार 73 करोड़ रुपये पिछले दो साल की लेनी है। यह रकम केन्द्रीय करों में छत्तीसगढ़ का हिस्सा है। वर्ष 2004 से लेकर अब तक कुल 15 हजार 154 करोड़ रुपये केंद्र पर बकाया हैं। उन्होंने कहा, केन्द्रीय करों में हिस्सा हमारा हक है।

चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री को पत्रजीवी कहा। उनका कहना था, पूरे देश में सबसे ज्यादा पत्र लिखने वाले मुख्यमंत्री वही हैं। जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, आज मुझे पत्रजीवी कहा गया। आदिवासियों, नौजवानों, किसानों, अनुसूचित जाति, जनजाति और छत्तीसगढ़ के हितों की बात जब भी आएगी तो मैं हजार बार पत्र लिखुंगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, विपक्ष यह प्रश्न उठा रहा है कि सरकार बचा हुआ धान क्यों बेच रही है। मैं कहना चाहता हूं कि आप हमें 60 लाख मीट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में जमा करने की अनुमति दिला दीजिए। हमें बाहर धान या चावल बेचने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा, एक समय था जब देश में अनाज की कमी थी। इंदिरा गांधी के आह्वान पर हरित क्रांति हुई। हमारे किसानों ने देश को खाद्यान्न के मामले में स्वावलंबी कर दिया। अब जब उत्पादन अधिक हुआ है तो केंद्र सरकार उसकी व्यवस्था नहीं कर पा रही है।

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