September 21, 2024

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वाह ! मासूम सी बच्ची ने दुनिया छोड़ने से पहले 5 लोगों को दिया जीवन दान, जानियें कौन है ये सबसे कम उम्र की …

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डेस्क | एक मासूम सी बच्ची ने दुनिया छोड़ने से पहले पांच लोगों की जिंदगी में रंग भर दिया| 20 महीने के इस मासूम बच्ची ने अपनी प्यारी सी मुस्कान पांच अलग-अलग लोगों में बांट दी है| इस मासूम बच्ची ने दुनिया को अलविदा कहने से पहले पांच लोगों की जिदंगी संवार दी| इसके साथ ही यह मासूम बच्ची सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर भी बन गई है| मासूम बच्ची ने अपने शरीर के पांच अंगों को दान किया|

दिल्ली के रोहिणी इलाके में 8 जनवरी को 20 महीने की धनिष्ठा खेलते समय अपने घर की पहली मंजिल से नीचे गिर गई थी| इसके बाद वह बेहोश हो गई. परिजन उसे तुरंत सर गंगाराम अस्पताल लेकर गए| डॉक्टरों ने उसे होश में लाने की बहुत कोशिश की लेकिन सब बेकार साबित हुआ|

बताया जाता है कि 11 जनवरी को धनिष्ठा को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया| दिमाग के अलावा धनिष्ठा के सारे अंग सही से काम कर रहे थे| तब उसके परिजन पिता अशीष कुमार और मां बबिता ने उसके अंग दान करने का फैसला किया| धनिष्ठा का दिल, लिवर, दोनों किडनी और कॉर्निया सर गंगाराम अस्पताल ने निकाल कर पांच रोगियों में प्रत्यारोपित कर दिया गया|

धनिष्ठा ने मरने के बाद भी पांच लोगों को अपने अंग देकर उन्हें नया जीवन दे दिया| मासूम धनिष्ठा अपने चेहरे की मुस्कान उन पांच लोगों के चेहरे पर छोड़कर चली गई| धनिष्ठा के पिता और माता ने अंगदान को लेकर अस्पताल के अधिकारियों से बात की थी| ऐसी परिस्थिति में ये फैसला लेना बेहद कठिन होता है|

धनिष्ठा के पिता आशीष ने बताया कि हमने अस्पताल में रहते हुए कई ऐसे मरीज़ देखे जिन्हे अंगों की सख्त आवश्यकता थी| हांलाकि हम अपनी धनिष्ठा को खो चुके थे लेकिन हमने सोचा की अंगदान से उसके अंग न ही सिर्फ मरीज़ों में जिन्दा रहेंगे, बल्कि उनकी जान बचाने में भी मददगार साबित होंगे|

बता दें कि कैडेवर डोनर उसे कहते हैं जो शरीर के पांच जरूरी अंगों का दान करता है| ये अंग हैं- दिल, लिवर, दोनों किडनी और आंखों की कॉर्निया| कैडेवर डोनर होने के लिए जरूरी है कि मरीज ब्रेन डेड हो| इसके लिए परिजनों की अनुमति चाहिए होती है| आमतौर पर दानदाता और रिसीवर का नाम गोपनीय रखा जाता है लेकिन परिजन चाहे तो दानदाता का नाम उजागर कर सकता है|

भारत में पहले लोग इस तरह से अंगों को दान करने से हिचकते थे लेकिन अब पिछले कुछ सालों में अंगदान की परंपरा में तेजी आई है| लोग खुद आगे आकर अपने अंग दान करते हैं| इसके बावजूद लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के मुताबिक 13 मार्च 2020 तक भारत में अंगदान की प्रतिक्षा में कुल 30,886 मरीज हैं|

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