Big News | छत्तीसगढ़ की सड़कों पर मौत का तांडव, महीनों Lockdown के बावजूद 4000 से अधिक लोगों ने गवाई जान, यातायात ने जारी किया आकड़ा
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रायपुर । छत्तीसगढ़ की खूनी सड़कों पर 2020 में 12 हजार हादसे हुए। साल भर में खूनी सड़कों ने 4017 की जान ली। खूनी सड़कों पर यात्रा के दौरान 10 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए। ये हम नहीं यातायात पुलिस विभाग के आंकड़े कहते हैं। आंकड़े सामने आने के बाद विभाग की तंद्रा टूटी। अब दुर्घटनाजन्य स्थलों का पुनर्चिन्हांकन किया जाएगा। राज्य पुलिस पीडब्ल्यूडी और जिला प्रशासन मिलकर नेशनल हाइवे की समीक्षा करेंगे।
सड़क हादसों की खूनी सच्चाई सामने आने के बाद शासन- प्रशासन की तंद्रा टूटी लगने लगी है। अब इन्हीं हादसों के आधार पर नए संभावित ब्लैकस्पॉट का निर्धारण किया जाएगा। उन्हें सुधारने के लिए तुरंत ही सड़कों को सुधारने, यातायात को अवरुद्ध करने वाले होर्डिंग एवं वृक्षों को हटाने, लाइट और ट्रैफिक संकेतक लगाने संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही ठीक किए जा चुके ब्लैकस्पॉट को नई सूची से हटाया जाएगा। दरअसल 2017 से 2019 के बीच हुए हादसों के आधार पर इस समय राज्य की सड़कों पर कुल 130 ब्लैकस्पॉट है। इनका निर्धारण प्रत्येक तीन वर्ष के दुर्घटनाजन्य स्थानों के आधार पर किया जाता है।
छत्तीसगढ़ पुलिस के अनुसार राजनांदगांव जिले में सबसे अधिक 14 ब्लैकस्पाट हैं। सरगुजा, मुंगेली में 9-9, रायपुर और रायगढ़ में 8-8, कबीरधाम, कोरिया में 7-7, कोरिया, बिलासपुर, सूरजपुर में 6-6, कांकेर, बालोद, धमतरी, महासमुंद में 5-5 और अन्य जिलों में 1 से 4 ब्लैकस्पाट है। इन सभी को चिन्हांकित करने के बाद उसमें सुधार कार्य भी किए गए है। साथ ही वहां हाइवे पेट्रोलिंग की टीम को तैनात भी किया गया था। छत्तीसगढ में जनवरी से दिसंबर 2020 के दौरान 4017 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। साल 2020 में करीब 12000 सड़क हादसे हुए और 10,000 से अधिक लोग घायल हुए। राज्य पुलिस के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सबसे अधिक 75 फीसदी हादसे ब्लैकस्पॉट पर हुए हैं।
इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय की टीम ने लगातार निरीक्षण भी किया। साथ ही इसकी रिपोर्ट संबंधित विभागों को भेजकर सुधारने के निर्देश दिए थे। लाकडाउन खुलने के बाद अक्टूबर में 385, नवंबर में 408 और 15 दिसंबर तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है। स्पेशल डीजी योजना एवं प्रबंध आरके विज ने कहा, ब्लैकस्पाट का निर्धारण पिछले तीन वर्षो के आकड़ों के आधार पर किया जाता है। अधिकांश पुराने ब्लैकस्पॉट को ठीक करने के बाद नए सिरे से इसका चिन्हांकन किया जाएगा। इसके लिए दुर्घटनाजन्य स्थानों की समीक्षाकर संबंधित विभागों से साथ स्थल निरीक्षण किया जाएगा।