समाज कल्याण विभाग के कथित 1000 करोड़ के घोटाले को लेकर उठे सवाल.. आखिर 23 करोड़ के आबंटन में 1000 करोड़ का घपला कैसा?.. पढ़िए क्या है सच..
1 min readरायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के अंतर्गत समाज कल्याण विभाग के कथित एक हजार करोड़ का घपला जांच में खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत को चरितार्थ करता है। जिस विभाग के कुल बजट में 80 प्रतिशत पेंशन तथा शेष राशि परित्यक्ताओं , विधवाओं एवं अन्य सेवा मदों में व्यय की जाती है। ऐसा प्रतीत होता है, कि किसी विशेष अधिकारी को लक्ष्य बनाकर जानबूझकर अपमानित करने की योजना के तहत उक्त आरोप लगाए जा रहे है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के अनुसार समाज कल्याण विभाग का वर्ष 2003-04 में बजट 108 करोड़ था। वहीं वर्ष 2019-20 में कुल बजट 969 करोड़ है। इस बजट का अधिकांश हिस्सा सीनियर सिटीजंस, दिव्यांगजनों, विधवा एवं परित्यक्त महिलाओं को पेंशन देने में व्यय होता है। विभागीय आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2003-04 में कुल बजट लगभग 108 करोड़ का 80 प्रतिशत अर्थात 92 करोड़ रुपए पेंशन के लिए व्यय किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में दिसंबर माह तक 682 करोड़ का व्यय पेंशन हेतु किया गया। समाज कल्याण विभाग द्वारा अपने बजट का 80 प्रतिशत राशि पेंंशन वितरण में चला जाता है। इसी तरह विभागीय कर्मचारियों के लिए वेतन भत्ते में लगभग 5 प्रतिशत का बजट होता है। उल्लेखनीय है, कि उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिकाकर्ता द्वारा विगत 10 वर्ष में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत नि:शक्तजन संस्थान में एक हजार करोड़ के घपले किए जाने बाबत् शपथपत्र दिया गया था जबकि इस अंतराल में संस्थान को मात्र 23 करोड़ का बजट विभिन्न स्त्रोतों से उपलब्ध हुआ था। इसका उपयोग दिव्यांगजनों को ग्रामीण स्तर तक सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रशासनिक एवं सामुदायिक अमले के प्रशिक्षण , उनके लिए निति निर्माण, अत्याधुनिक उपकरण निर्माण, उपचार एवं आर्थिक स्वावलंबन पर किया गया। इसी से स्वयंसिद्ध हो जाता है कि उक्ताशय का आरोप मनगढ़ंत एवं तथ्यों से परे है। गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग को दिव्यांगजनों की उत्कृष्ट सेवा करने हेतु वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत तथा 2018 में सीनियर सिटींजस की सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया था। ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता का आरोप निराधार ही साबित हुआ है। कथित घोटाले में एक हजार करोड़ की राशि की गणना के संबंध में भी कोई तथ्यात्मक जानकारी नहीं दी गई है। इससे भी षडय़ंत्रकारी गतिविधियों से जुड़े लोगों की संलिप्तता की पुष्टि होती है। 23 करोड़ के बजट में हजार करोड़ के घपले का आरोप न्यायालय को भ्रामक एवं निराधार जानकारी देना हुआ, इस पर जांच कर यथोचित कार्रवाई की जानी चाहिए।