गांधी की पुण्यतिथि…और दिल्ली की सड़कों पर जिंदा हुआ 30 जनवरी 1948!
1 min readदेश की राजधानी दिल्ली आज वैसी ही घटना की गवाह बनी जिसका आज पूरी दुनिया शोक मना रही है. 30 जनवरी, 1948 की शाम को जब दिल्ली में हो रही एक प्रार्थना सभा में हिस्सा लेने के लिए महात्मा गांधी जा रहे थे, तभी एक शख्स आता है और उन पर गोलियां बरसाना शुरू कर देता है. बापू की हत्या के ठीक 72 साल बाद फिर उसी दिल्ली में जब शांति मार्च शुरू हो रहा था तभी एक शख्स आता है और पिस्तौल लहराकर आजादी देने की बात करते हुए गोली चला देता है. गनीमत बस इतनी रही कि इस गोली से किसी की जान नहीं गई, हालांकि एक छात्र का हाथ जख्मी जरूर हुआ है.
पूरी दुनिया को अहिंसा और शांति का संदेश देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ जामिया इलाके में शांति मार्च निकाला जा रहा था. दिल्ली पुलिस की इजाजत मिलेगी या नहीं मिलेगी, इसी ऊहापोह में प्रदर्शनकारी थे तभी वहां हंगामा खड़ा हो गया.
एक शख्स भीड़ के बीच से निकलकर आया, हाथ में ली गई पिस्तौल हवा में लहराई और गोली चला दी. गोली चलाने वाले गोपाल के हमले में एक शख्स घायल हो गया. दिल्ली की सड़क पर जब हमलावर खुलेआम गोली चला रहा था, तब दिल्ली पुलिस कुछ ही दूरी पर खड़े होकर तमाशा देख रही थी. जब तक हमलावर खुद ही सरेंडर करने की स्थिति में नहीं आया, तब तक पुलिस की ओर से उसे काबू नहीं किया गया.
आधुनिकता…विश्वगुरु…युवा सोच की बात करने वाले भारत की राजधानी में दिनदहाड़े एक युवक ने हथियार लहराया और शांति मार्च निकालने के लिए खड़े लोगों पर गोली चला दी. 72 साल पहले गोली चलाने वाले युवक का नाम नाथूराम था और आज जिसने गोली चलाई वो खुद को रामभक्त गोपाल लिखता है. कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे ने भी महात्मा गांधी पर गोली चलाने से पहले उनके हाथ जोड़े थे. इस बार हमलावर गोपाल अपने फेसबुक पोस्ट में हमले के दौरान लगातार हाथ जोड़ने के इमोजी बना रहा था. नाथूराम की तरह गोपाल को भी पुलिस ने मौके से धर लिया.