December 3, 2024

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आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी, महंगाई को दूर करने में नाकाम होगा यह आम बजट- छाया वर्मा

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आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी, महंगाई को दूर करने में नाकाम होगा यह आम बजट- छाया वर्मा

रायपुर/ 01 फरवरी 2020। कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद छाया वर्मा ने आम बजट (2020-21) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि निर्मला सीतारमन द्वारा प्रस्तुत बजट देश में आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी, महंगाई, उत्पादकता में गिरावट, अविश्वास को दूर करने में असर्थ होगा।

किसानों की आय दोगुनी करने की बात बजट में की गई है पर उसका क्या तरीका होगा, यह नहीं बताया गया है। पिछले 6 वर्षों से यह बात राज्य सरकार करती आ रही है। पर किसानों की आय दोगुनी के बजाय किसान अलाभकारी खेती के कारण कर्ज में डूब रहे हैं इसीलिए किसानों की आत्महत्याओं की घटनाएं देश में बढ़ रही हैं। हद तो तब होती हैं जब किसानों के उपज को केन्द्रीय एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने से बचने लगती है।

देश में आधी आबादी महिलाओं की है, पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को र्स्माट फोन के अलावा महिलाओं के लिए इस बजट में कुछ खास नहीं है। एक महिला वित्तमंत्री से महिलाओं के लिए बहुत कुछ उम्मीद थी, पर सबसे ज्यादा यह बजट महिलाओं को ही निराश किया है।
बेरोजगारों को संतुष्ट करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रिक्यूटमेंट एजेंसी की बात बजट में कही गई है। पर क्या गारंटी है कि जो भर्ती बोर्ड पहले से संचालित हैं जिनका रिजल्ट वर्षों तक नहीं आता और नौकरी की राह देखते-देखते बच्चे ओवर एज हो जाते हैं उन्हें  नौकरी राष्ट्रीय स्तर पर रिक्यूटमेंट एजेंसी से मिलेगी।

शिक्षा के लिए डीम्ड यूनिवर्सिटी की बात बजट में की गई है। पहले से ही केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ोत्तरी की मार विद्यार्थी झेल रहे हैं और अब डीम्ड यूनिवर्सिटी शिक्षा को और महंगा बनाने वाली हैं। क्योंकि यह पूरी तरह निजी हार्थों में होती हैं। इन पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है। जैसे निजी स्कूल उसी तर्ज पर अब डीम्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा महंगी होने वाली है।
रेलवे को निजी क्षेत्रों के हाथों में सौपा जा रहा है तकरीबन धीरे-धीरे 100 ट्रेनें निजी क्षेत्रों द्वारा पीपीपी मॉडल के आधार पर संचालित करने का प्रस्ताव बजट में रखा गया है। जिसमें किसी भी तरह की रियायत चाहे वे विकलांग हों, सीनीयर सिटिजेन हो, पत्रकार हों, नहीं दी जाएगी और उन ट्रेनों में रेल टिकटों का दर हवाई जहाज के टिकटों के आसपास होगी, क्योंकि वह पूरी तरह से व्यावसायिक हो जाएगी निजी व्यावसायियों द्वारा संचालित ऐसी ट्रेनों में किराया वे खुद-ब-खुद तय करेंगे। कई ट्रेनें ऐसा संचालित की जा रही है जैसे आईआरसीटीसी तेजस, इस ट्रेन का किराया अन्य ट्रेनों के मुकाबले हवाई जहाज जैसा महंगा है।

हां, इनकम टैक्स का स्लैब जरूर बढ़ाया गया है, पर उसमें भी कंडिशन लगा दी गई है। यदि कोई नए सैलब पर आईटीआर दाखिल करता है, तो उसकी कुछ रियायतें छीन ली जाएगी। यह सांप सीढी के खेल जैसा होगा।

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